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परिसीमन मामले में केंद्र को मिला अंतिम मौका

रांची: हाइकोर्ट ने सोमवार को परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी. कोर्ट ने भारत सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया. मामले की अगली सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन […]

रांची: हाइकोर्ट ने सोमवार को परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भारत सरकार द्वारा जवाब दाखिल नहीं करने पर नाराजगी जतायी. कोर्ट ने भारत सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए अंतिम मौका दिया. मामले की अगली सुनवाई 10 अक्तूबर को होगी. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल और जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ में मामले की सुनवाई हुई. इससे पूर्व राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से शपथ पत्र दायर कर खंडपीठ को बताया गया कि परिसीमन मामले में संसद ने फैसला किया था. उसके फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती है.

इस बाबत आयोग के पास कोई अधिकार भी नहीं है. प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता वीपी सिंह, सरधु महतो व अन्य ने पैरवी की. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि 2001 की जनगणना के आधार पर पूरे देश में परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू है, लेकिन झारखंड में क्यों नहीं लागू किया गया? क्या 2001 की जनगणना गलत है? क्या परिसीमन से संबंधित कोई मामला किसी न्यायालय में लंबित है? तथ्यों के साथ जवाब दाखिल किया जाये.

साथ ही राज्य निर्वाचन आयोग को जवाब दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया कि वर्ष 2001 की जनगणना के आधार पर क्या-क्या काम हो रहे हैं. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी रामकुमार सिंह ने जनहित याचिका दायर कर झारखंड में परिसीमन आयोग की अनुशंसा लागू करने के लिए केंद्र सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.

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