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ट्राइबल सब प्लान के पैसों का विचलन हो रहा है : मिंज
आदिवासी दलित मानवाधिकार आंदोलन व झारखंड आंदोलनकारी मोरचा की बैठक राज्य सरकार पर ट्राइबल सब प्लान, शिड्यूल कास्ट सब प्लान के पैसों के विचलन का आरोप रांची : झारखंड सरकार ट्राइबल सब प्लान (टीएसपी) के पैसों का विचलन कर रही है. शिड्यूल कास्ट सब प्लान (एससीएसपी) के पैसों का भी विचलन हुआ है.इसके 2015 – […]
आदिवासी दलित मानवाधिकार आंदोलन व झारखंड आंदोलनकारी मोरचा की बैठक
राज्य सरकार पर ट्राइबल सब प्लान, शिड्यूल कास्ट सब प्लान के पैसों के विचलन का आरोप
रांची : झारखंड सरकार ट्राइबल सब प्लान (टीएसपी) के पैसों का विचलन कर रही है. शिड्यूल कास्ट सब प्लान (एससीएसपी) के पैसों का भी विचलन हुआ है.इसके 2015 – 16 के वार्षिक बजट में पुलों पर टीएसपी का एक अरब 60 करोड़, साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर 35 करोड़, उच्च शिक्षा पर 80 करोड़, गृह विभाग पर 49 करोड़, अल्पसंख्यक कल्याण पर 33 करोड़, उद्योग विभाग पर एक अरब 55 करोड़ व 20 करोड़ (एससीएसपी), झारखंड स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड पर दो अरब 62 करोड़ व एक अरब नौ करोड़ (एससीएसपी), सरकारी भवनों पर 13 करोड़ 36 लाख, कोर्ट बिल्डिंग पर 50 करोड़, सर्किट हाउस पर 40 करोड़ व सीएम हाउस पर 40 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना है.
अनुसूचित जाति, जनजाति के लिए जारी पैसों का विचलन आपराधिक कृत्य है. यह बात ‘स्वाधिकार’ के सुनील मिंज ने ‘झारखंड में आदिवासी उपयोजना व दलित उपयोजना के सफल क्रियान्वयन’ पर आयोजित बैठक में कही.आयोजन आदिवासी दलित मानवाधिकार आंदोलन और झारखंड आंदोलनकारी मोरचा की ओर से बहुबाजार स्थित एचपीडीसी सभागार में किया गया.
समुदायों को संगठित कर जागरूक करने की जरूरत : झारखंड आंदोलन से जुड़ व पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि झारखंड राज्य विशुद्ध रूप से आदिवासी राज्य है. यहां के 24 में से 14 जिले आदिवासी घोषित हैं. आंकड़े आदिवासी दलितों के पक्ष में हैं. जरूरत सिर्फ इन समुदायों को संगठित व जागरूक करने की है.
कार्यकारिणी समिति गठित, सूर्य सिंह बेसरा बने अध्यक्ष : कार्यकारिणी समिति का गठन किया गया, जिसमें सूर्य सिंह बेसरा को अध्यक्ष बनाया गया. अन्य सदस्यों में जयप्रकाश मिंज, सेलेस्टीन कुजूर, जेम्स हेरेंज, कन्हाई सिंह, मिथिलेश कुमार, अरुण तिग्गा, अभय खाखा, सुनील मिंज, बीना पलीकल व पॉल दिवाकर शामिल हैं.
योजनाएं समुदाय को केंद्रित कर नहीं बनायी जा रहीं : अभय
राष्ट्रीय दलित मानव अधिकार आंदोलन के संयोजक अभय खाखा ने कहा कि बजट आवंटन का आठ फीसदी आदिवासियों व 16 प्रतिशत दलितों के लिए होना चाहिए. 1974 और 1979 से अब तक कभी भी यह हिस्सा इन समुदायों को नहीं मिला. झारखंड में योजनाएं समुदाय को केंद्रित कर नहीं बनायी जा रहीं. इसके बदले हेलीपैड, जेल निर्माण, हवाई पट्टी, फोर लेन सड़क आदि पर खर्च किया जा रहा है.
माले के विधायक राजकुमार यादव ने कहा कि राज्य निर्माण के 15 वर्षो बाद भी हम आदिवासी, दलितों को उनके बजट हिस्सेदारी का लाभ नहीं मिल रहा है. सरकार सिर्फ लोक लुभावन घोषणाएं करती हैं.
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