एएसपी ने सौंपी रिपोर्ट
रांची : स्वास्थ्य विभाग की ओर से करीब 16 करोड़ की दवा खरीद में हुई गड़बड़ी की आरंभिक जांच निगरानी एएसपी आनंद जोसेफ तिग्गा ने पूरी कर ली है. उन्होंने रिपोर्ट निगरानी आइजी को सौंप दी है, जिस पर अंतिम निर्णय निगरानी आइजी को लेना है. निगरानी के एक अधिकारी के अनुसार एसपी ने अपनी आरंभिक जांच रिपोर्ट में लिखा है कि बिना प्रक्रिया पूरी किये ही दवा की खरीदारी हुई थी.
दवा की खरीद सरकारी प्रतिष्ठानों से होनी थी, लेकिन सरकारी प्रतिष्ठानों से दवा खरीदने के बजाय स्थानीय डीलरों से रेट लेकर टेंडर करवा कर दवा की खरीद की गयी थी. रुपये आवंटित होने के महज 12 दिनों में टेंडर प्रक्रिया पूरी करने पर भी एएसपी ने सवाल उठाये हैं.
जांच रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि टेंडर के पहले दवा बनाने वाली कंपनी को अपने उत्पादक के साथ उसके बनाने के तरीके के संबंध में जानकारी देनी थी, लेकिन ऐसा नहीं किया.
जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी को लेकर छह सिविल सजर्न की संलिप्तता पर सवाल उठे हैं. रिपोर्ट पर आइजी से सहमति मिलते ही सरकार के पास भेज कर प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी जायेगी.
उल्लेखनीय है निगरानी मामले की जांच कर रही है. वित्तीय वर्ष 2010-11 के दौरान प्राकृतिक आपदा विभाग द्वारा आवंटित रुपये से स्वास्थ्य विभाग ने करीब 18 करोड़ रुपये की दवा राज्य के बाहर स्थित विभिन्न कंपनियों से खरीदी गयी थी. रुपये भुगतान करने के बाद सरकार को सूचना मिली कि दवा खरीद में घोटाला हुआ है. जिन दवाओं की खरीद हुई है और जिस कंपनी को रुपये का भुगतान किया है, वह कंपनी दवा का निर्माण ही नहीं करती है. कंपनी में काम करनेवाले मैनेजर ने बाजार से घटिया किस्म की दवा खरीद कर सरकार को आपूर्ति की.
दवा घोटाले में मिश्र दंपती की गिरफ्तारी
रांची : सीबीआइ ने दवा घोटाले में संजय मिश्र व उनकी पत्नी रंजीता मिश्र को गिरफ्तार कर लिया है. सीबीआइ के डीएसपी बीके सिंह ने गुरुवार की शाम मोरहाबादी स्थित आवास से इन दोनों को गिरफ्तार किया. दोनों अभियुक्तों को कोतवाली थाने में रखा गया है. सीबीआइ ने दवा घोटाले की जांच में इन दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था.
आरोप है कि दोनों ने विज्ञापन के नाम पर छल किया और अधिक बिल बना कर डेढ़ करोड़ रुपये की गड़बड़ी की. संजय मिश्र सिटी एडवरटाइजर नामक विज्ञापन कंपनी चलाते थे. उनकी पत्नी रंजीता मिश्र एनआरएचएम में कार्यरत थीं. अन्य कार्यो के अलावा विज्ञापन का मामला भी देखती थीं. एनआरएचएम के सारे विज्ञापन वह अपने पति की कंपनी के माध्यम से समाचार पत्रों को भेजती थीं. साथ ही कंपनी को विज्ञापन के एवज में भुगतान की प्रक्रिया भी वही निबटाती थीं.
इन दोनों अभियुक्तों के तत्कालीन स्वास्थ्य सचिव डॉ प्रदीप कुमार के साथ अच्छे संबंध थे. प्रदीप कुमार भी दवा घोटाले में आरोपी हैं और फिलहाल न्यायिक प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं. सीबीआइ द्वारा दायर आरोप पत्र के आधार पर अदालत ने इन दोनों अभियुक्तों के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किये थे. दोनों अभियुक्त रांची से बाहर थे. रांची लौटते ही सीबीआइ ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया.