मामला वित्तरहित संस्कृत स्कूल व मदरसा के शिक्षाकर्मियों कावरीय संवाददातारांची. वर्ष 2012 से लेकर अब तक प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत स्कूलों और मदरसा के शिक्षक-कर्मचारियों को अनुदान नहीं मिला है. इस मामले में झारखंड कैबिनेट के फैसले को भी लागू नहीं किया गया है. कैबिनेट ने अक्तूबर 2014 में इसके लिए अपनी स्वीकृति दी थी. मानव संसाधन विकास विभाग ने संकल्प भी जारी किया था. इसके बावजूद वित्तीय वर्ष 2014-2015 के तहत शिक्षा कर्मियों को अनुदान नहीं मिल पाया. इससे शिक्षा कर्मियों की आर्थिक स्थिति दयनीय होती जा रही है. वर्ष 2012 में 15 संस्कृत स्कूल व छह मदरसों को राज्य सरकार से प्रस्वीकृति मिली थी. वर्ष 2013 में सात संस्कृत स्कूल, वर्ष 2014 में छह संस्कृत स्कूल व 31 मदरसों को प्रस्वीकृति प्रदान की गयी थी. उधर झारखंड प्रदेश संस्कृत शिक्षक व शिक्षकेतर कर्मचारी महासंघ ने कैबिनेट के फैसले को तुरंत लागू करने की मांग की है. महासंघ के हरिहर प्रसाद कुशवाहा, बलदेव पांडेय, मुज्जमिल हसन, मो कासिम व वित्तरहित संघर्ष मोरचा के रघुनाथ सिंह ने मुख्यमंत्री रघुवर दास व शिक्षा मंत्री नीरा यादव से शिक्षाकर्मियों की दयनीय स्थिति सुधारने की दिशा में त्वरित कदम उठाने की मांग की है.
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कैबिनेट के फैसले के बाद भी नहीं मिला अनुदान
मामला वित्तरहित संस्कृत स्कूल व मदरसा के शिक्षाकर्मियों कावरीय संवाददातारांची. वर्ष 2012 से लेकर अब तक प्रस्वीकृति प्राप्त संस्कृत स्कूलों और मदरसा के शिक्षक-कर्मचारियों को अनुदान नहीं मिला है. इस मामले में झारखंड कैबिनेट के फैसले को भी लागू नहीं किया गया है. कैबिनेट ने अक्तूबर 2014 में इसके लिए अपनी स्वीकृति दी थी. मानव […]
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