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विकास के लिए ग्रामीण जमीन देने को तैयार

रांची: पावर प्लांट व अन्य उद्योगों के लिए जमीन की कमी से जूझते झारखंड के लिए यह अच्छी खबर है. पलामू के हुसैनाबाद प्रखंड के ग्रामीण अपनी डेढ़ हजार एकड़ जमीन नेशनल थर्मल पावर प्लांट (एनटीपीसी) को देने के लिए तैयार हैं. जमीन देने संबंधी प्रस्ताव ग्रामसभा से पारित करा कर ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को […]

रांची: पावर प्लांट व अन्य उद्योगों के लिए जमीन की कमी से जूझते झारखंड के लिए यह अच्छी खबर है. पलामू के हुसैनाबाद प्रखंड के ग्रामीण अपनी डेढ़ हजार एकड़ जमीन नेशनल थर्मल पावर प्लांट (एनटीपीसी) को देने के लिए तैयार हैं. जमीन देने संबंधी प्रस्ताव ग्रामसभा से पारित करा कर ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भी इसकी सूचना दी है. पहले उपायुक्त पलामू को इसकी सूचना दी गयी. फिर मुख्यमंत्री रघुवर दास के पहले जनता दरबार में ही उन्हें इसके संबंध में ज्ञापन दिया गया.

हुसैनाबाद के कुल 10 गांवों नदियाइन, डुमरहाथा, बरवाडीह, बनियाडीह, बराही, शिवबगहा, पोखराही, ददरा, बड़ेपुर व बुधुवा के लोग मानते हैं कि इस इलाके में पावर प्लांट लगने से रोजी-रोजगार को बढ़ावा मिलेगा. अभी इस इलाके से काम की तलाश में बड़ा पलायन होता है.

इन गांवों से संबद्ध वीर कुंवर सिंह कृषक सहकारी समिति लि. के अध्यक्ष प्रियरंजन सिंह के अनुसार, इससे पहले 20 अक्तूबर 2013 को डुमरहाथा पंचायत में ग्राम सभा आयोजित कर 60 एकड़ जमीन मेगा फूड पार्क के लिए भी देने संबंधी प्रस्ताव पारित हुआ था. दरअसल हुसैनाबाद के इन गांवों में विकास व रोजगार की ललक है. यही वजह है कि ग्रामीणों के लिए अपनी जमीन उपलब्ध कराना कोई समस्या नहीं है.

प्रियरंजन के अनुसार, इस इलाके से हर रोज पांच हजार लीटर दूध बिहार भेजा जाता है. ग्रामीण बहुत दिनों से यह मांग करते रहे हैं कि झारखंड सरकार यहां दुग्ध शीतक केंद्र (मिल्क चिलिंग प्लांट) की स्थापना करे. ग्रामीणों के लिखित आग्रह के बाद जिला गव्य विकास पदाधिकारी, पलामू ने 11 दिसंबर 2013 को निदेशक गव्य को बताया था कि डुमरहाथा के लोग दुग्ध शीतक केंद्र के लिए जमीन देना चाहते हैं. लेकिन अभी तक ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं हुई है.

इन तमाम प्रस्ताव के साथ ग्रामीण यह बताना नहीं भूलते कि उपलब्ध करायी जाने वाली तमाम जमीन सोन नदी के किनारे है, जहां वर्ष भर पानी उपलब्ध रहता है. यही नहीं वहां से सिर्फ पांच किमी की दूरी पर कजरात नवाडीह तथा सात किमी की दूरी पर जपला रेलवे स्टेशन है. रेलवे लाइन बिछा कर पावर प्लांट के लिए यहां कोयला बड़े आराम से पहुंचाया जा सकता है. बेरोजगारी से जूझते इस इलाके के ग्रामीणों ने अब दूसरी पहल भी की है. इन्होंने अपने खेतों में गन्ना लगाना शुरू किया है. उपरोक्त 10 गांवों की करीब 45 एकड़ जमीन पर गन्ना लगाया गया है. उधर पाटन प्रखंड में भी लगभग दो सौ एकड़ जमीन पर गन्ना लगाया गया है.

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