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खुद प्रदूषित हो गया है प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए अधिकारी गंभीर नहीं प्रदूषण बोर्ड व नगर निगम मिल कर स्थल चयन करें रिम्स के इनसीनिरेटर प्लांट का उपयोग किया जाये अगली सुनवाई 29 जून को रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को अस्पतालों व नर्सिग होम से निकल रहे मेडिकल कचरे के निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका […]
मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए अधिकारी गंभीर नहीं
प्रदूषण बोर्ड व नगर निगम मिल कर स्थल चयन करें
रिम्स के इनसीनिरेटर प्लांट का उपयोग किया जाये
अगली सुनवाई 29 जून को
रांची : झारखंड हाइकोर्ट में सोमवार को अस्पतालों व नर्सिग होम से निकल रहे मेडिकल कचरे के निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों के रवैये पर कड़ी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने प्रदूषण बोर्ड व नगर निगम को मिल कर स्थल चयन करने का निर्देश दिया. साथ ही रिम्स के मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट (इनसीनिरेटर) का अन्य अस्पतालों व नर्सिग होम के कचरा निष्पादन के लिए उपयोग करने पर अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश दिया.
खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 जून की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व खंडपीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खुद प्रदूषित हो गया है. क्या अस्पतालों, क्लिनिकों, जांच घरों में कलरफुल बैग रख देने से मेडिकल कचरे का निष्पादन हो गया. उसके बाद कचरा उठाने व उसे जलाने के लिए सरकार ने क्या सिस्टम तैयार किया है.
ऐसा लगता है कि अधिकारी गंभीर नहीं हैं. खंडपीठ ने कहा कि आइएमए, रिम्स सहयोग नहीं कर रहे हैं. क्या सिस्टम है. बतायें. अस्पताल व नर्सिग होम नियमों का पालन नहीं कर रहे है, तो प्रदूषण बोर्ड वैसे प्रतिष्ठानों को बंद क्यों नहीं कर रहा है. नर्सिग होम, अस्पतालों के आसपास रहनेवाले लोगों को मेडिकल कचरे से बीमारी हो रही है, तो इसके लिए जिम्मेवार कौन है.
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजेश शंकर ने खंडपीठ को बताया कि रांची, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, धनबाद में निजी संस्थान बायो जेनेटिक प्रालि द्वारा कचरे का उठाव व निष्पादन किया जा रहा है. जमशेदपुर में इस संस्थान को प्रदूषण बोर्ड की मान्यता नहीं है. वहां टीएमच व एमजीएम के इनसीनिरेटर में डिस्पोजल होता है. यह पूरी तरह से नहीं हो पा रहा है.
गौरतलब है कि प्रार्थी झारखंड ह्युमन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर की गयी है. प्रार्थी ने रांची, जमशेदपुर, धनबाद व बोकारो के बायो मेडिकल वेस्ट के उचित डिस्पोजल के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.
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