रांची: हाइकोर्ट ने गुरुवार को चतरा के पुरनाडीह कोलियरी के उत्खनन व ब्लास्टिंग से मकान क्षतिग्रस्त होने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीसीएल, राज्य सरकार एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फिर फटकार लगायी. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी निर्देश देकर सिर्फ अपनी डय़ूटी निभा रहे हैं. प्रदूषण रोकने के प्रति कोई गंभीर नहीं है. दामोदर नदी का प्रवाह रोका गया. पानी का रंग काला हो गया है. नदी का प्रवाह रोकना बड़ा अपराध है. इसका लाइसेंस किसने दिया. जस्टिस एनएन तिवारी व जस्टिस एस चंद्रशेखर की खंडपीठ ने सीसीएल के सीएमडी की ओर से जवाब दाखिल नहीं करने पर भी नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि सीसीएल इस मामले में गंभीर नहीं है. सीएमडी भी जवाब नहीं दे रहे हैं.
खंडपीठ ने सीसीएल को दो माह के अंदर दामोदर नदी की साफ-सफाई करने तथा प्रदूषण रोकने की दिशा में ठोस कदम उठाने का निर्देश दिया. यदि सफाई नहीं की गयी, तो अगली सुनवाई के दौरान सीएमडी अदालत में उपस्थित रहें. हेसदा गांव के पास 15 वर्ष पुराने पुल को हटाने का निर्देश दिया गया. मोनेट डेनियल वाशरी की ओर से दायर अंडरटेकिंग को रिकार्ड पर लेते हुए खंडपीठ ने डंप कोयला हटाने के लिए छह सप्ताह का समय दिया.
खंडपीठ ने कहा कि निर्धारित समय सीमा के अंदर यदि कोयला नहीं हटाया गया, तो प्रतिदिन 50 हजार रुपये के हिसाब से मोनेट वाशरी से जुर्माना वसूला जाये. राशि उपायुक्त रांची के पास जमा की जाये. डीवीसी व पंजाब पॉवर कॉरपोरेशन को भी निर्देश दिया कि वे अपने स्तर से कार्रवाई करें या सुनवाई के दौरान उपस्थित रहें. राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को फटकार लगाते हुए खंडपीठ ने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया. पूछा कि नदी को प्रदूषित करनेवालों के खिलाफ प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज करायी गयी.
इससे पूर्व सीसीएल की नॉर्थ कर्णपुरा प्रोजेक्ट के जीएम वीरआर रेड्डी ने उपस्थित होकर खंडपीठ को बताया कि नदी के पास से बोल्डर को हटा लिया गया है. पानी के बहाव में कोई समस्या नहीं है. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता अनूप कुमार अग्रवाल ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी सुरेश उरांव ने जनहित याचिका दायर की है. याचिका में प्रार्थी ने चतरा पुरनाडीह कोलियरी के उत्खनन व ब्लास्टिंग से मकान क्षतिग्रस्त होने का मामला उठाया है.