13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अपनी नीति पर चले झारखंड : सुदेश

स्थानीय नीति पर आजसू का लोक संवाद रांची : आजसू अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि स्थानीय नीति को गहराई से समझने की जरूरत है. स्थानीयता को लेकर बहस केवल विधानसभा या फिर कमेटियों में नहीं हो सकती है. संवाद की प्रक्रिया को नीचे तक ले जाना होगा. आम लोगों […]

स्थानीय नीति पर आजसू का लोक संवाद
रांची : आजसू अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुदेश कुमार महतो ने कहा है कि स्थानीय नीति को गहराई से समझने की जरूरत है. स्थानीयता को लेकर बहस केवल विधानसभा या फिर कमेटियों में नहीं हो सकती है. संवाद की प्रक्रिया को नीचे तक ले जाना होगा. आम लोगों की राय जानने के लिए संवाद करना होगा. झारखंड अपनी नीति और वसूलों पर चले. यहां रहने वाले लोगों के अधिकार को संरक्षण देने का सवाल है.
श्री महतो बुधवार को राजधानी में आजसू पार्टी द्वारा आयोजित स्थानीयता के मुद्दे पर बुलाये गये लोक संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे. इसमें पूर्व आंदोलनकारी, बुद्धिजीवी और पार्टी के जिला व प्रखंड स्तर के प्रतिनिधि पहुंचे थे. लोक संवाद कार्यक्रम में शिक्षाविद डॉ बीपी केशरी, संजय बसु मल्लिक, साहित्यकार गिरिधारी लाल गंझू, शीन अख्तर, बीके चांद सहित कई लोगों ने अपने विचार रखे.
लोक संवाद कार्यक्रम में मंत्री चंद्र प्रकाश चौधरी, विधायक कमल किशोर भगत, रामचंद्र सइस, विकास सिंह मुंडा, पूर्व विधायक उमाकांत रजक भी मौजूद थे. इधर, श्री महतो ने कहा कि स्थानीयता राज्य के लिए गंभीर मुद्दा है. जनभावना के अनुरूप नीति बनाने की जरूरत है. आजसू इस मुद्दे पर समाधान और दिशा देने के लिए बैठी है. झारखंड को अपना परिचय खुद बनाना है. हम यहां के लोगों को देखते हुए नीति बनायें. दूसरे राज्यों ने भी अपने तबके को संरक्षण देने के लिए नीतियां बनायी हैं.
श्री महतो ने कहा कि सरकार स्थानीय नीति का समाधान करना चाहती है. मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा भी की है. हम भी सरकार में शामिल हैं, बतौर सहयोगी हम भी इसके लिए प्रयास करेंगे. लोक संवाद कार्यक्रम में दूर-दराज से आये पार्टी प्रतिनिधियों ने अपनी राय दी. पार्टी प्रतिनिधियों का साफ कहना था कि झारखंड के आदिवासी-मूलवासी के अधिकार की रक्षा होनी चाहिए. इस नीति के आधार पर रोजगार में प्राथमिकता मिलनी चाहिए.
1971 को कट ऑफ डेट बनाया जा सकता है : केशरी
शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता बीपी केशरी ने कहा कि आज झारखंड में आदिवासी-मूलवासी के अस्तित्व का सवाल है. क्राइसिस के इस दौर में स्थानीयता जैसे प्रावधान की जरूरत है. स्थानीयता को लेकर गलतफहमी रहती है. ऐसा प्रचार किया जाता है कि जैसे बाहर के लोगों को भगा दिया जायेगा.
इस लड़ाई को संयम, ईमानदारी से लड़ना होगा. संवैधानिक प्रावधान के आधार पर हमें अपना हक लेना है. झारखंड में लूट पर लगाम लगाने की जरूरत है. श्री केशरी ने कहा कि स्थानीयता को लेकर कट ऑफ डेट पर चर्चा होती है. झारखंड में 60 के दशक के बाद बाहरी आबादी का आना शुरू हुआ था.
औद्योगिकीकरण के दौर में लोग यहां पहुंचे. 1971 की जनगणना को आधार बना कर स्थानीय नीति बनायी जा सकती है. जिन लोगों का उस समय वोटर लिस्ट में नाम हो, उन्हें शामिल किया जा सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें