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एक भी नक्शा नहीं हुआ पास
सख्त नियम : बहुमंजिली इमारतों के नक्शे फंसे फिलहाल सिर्फ छोटे घरों के ही नक्शे हो रहे स्वीकृत रांची : रांची नगर निगम में पिछले एक माह में एक भी बहुमंजिली इमारत का नक्शा नहीं स्वीकृत हुआ है. यह स्थिति नक्शा निष्पादन के लिए सरकार द्वारा दिये गये निर्देश के कारण हुआ है. कई नक्शे […]
सख्त नियम : बहुमंजिली इमारतों के नक्शे फंसे
फिलहाल सिर्फ छोटे घरों के ही नक्शे हो रहे स्वीकृत
रांची : रांची नगर निगम में पिछले एक माह में एक भी बहुमंजिली इमारत का नक्शा नहीं स्वीकृत हुआ है. यह स्थिति नक्शा निष्पादन के लिए सरकार द्वारा दिये गये निर्देश के कारण हुआ है. कई नक्शे निगम में पिछले साल भर से लंबित हैं. ज्ञात हो कि रांची नगर निगम में 50 से अधिक बहुमंजिली इमारतों के नक्शे पिछले एक साल से लंबित हैं. हालांकि छोटे मकानों का नक्शा पूर्ववत स्वीकृत किया जा रहा है.
राज्य सरकार ने 13 जनवरी को नगर निगम में बहुमंजिली इमारतों का नक्शा पास करने पर रोक लगा दी थी. इसके बाद 15 मार्च को रोक हटा दी गयी परंतु जिन शर्तो के साथ नक्शा स्वीकृति का आदेश दिया गया, उसका पालन करना निगम के बूते के बाहर है. नयी शर्त के तहत निगम एक बहुमंजिली इमारत का नक्शा तभी स्वीकृत कर पायेगा. जब वह पूर्व से निर्मित तीन बहुमंजिली इमारतों को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करेगा. इस आदेश के बाद पुराने भवनों को भी ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य हो गया है.
पुराने भवन मालिक इसमें कोई रुचि ही नहीं ले रहे हैं, क्योंकि पूर्व में निर्मित इन अपार्टमेंटों को बिल्डरों द्वारा बेच दिया गया है. वहीं कई भवनों पर तो अवैध निर्माण भी हो गया है.
ये पुराने भवन निर्माता जब ऑक्यूपेंसी के लिए निगम में आवेदन दंेगे, तो निगम के अभियंता उस भवन की फिर से जांच करेंगे. जांच में अतिक्रमण व डेवियेशन पाये जाने पर ऐसे हिस्से को तोड़ा जायेगा. निगम के इस रुख के कारण कोई भी भवन मालिक ऑक्यूपेंसी लेने के लिए आगे नहीं आ रहा है. इसके चलते नये नक्शे पास ही नहीं हो रहे हैं.
निगम जांच करने को स्वतंत्र, फिर भी अड़ंगा
शहर में बन रही बहुमंजिली इमारतों के लिए भले ही सरकार ने नये नियम लागू कर दिये हों, परंतु नगर निगम के पास इतनी शक्ति है कि वह किसी भी भवन के डेवियेशन की जांच कर सकता है.
जांच में अगर भवन निर्माण नक्शे के अनुरूप नहीं है तो अवैध हिस्से को तोड़ कर उन्हें ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी कर सकता है. परंतु निगम ने खुद जांच से बचने के लिए आम जनता को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट का आवेदन करने का निर्देश दिया है.
सरकार ऑक्यूपेंसी को अनिवार्य करे. यह अच्छा कदम है. परंतु वर्तमान में जो शर्त पुराने भवनों के लिए रखे गये हैं. वह कहीं से भी उचित नहीं है. क्योंकि न तो पुराने भवन ऑक्यूपेंसी के लिए आवेदन देंगे और न ही नया नक्शा स्वीकृत होगा.
सुजीत भगत सचिव आर्किटेक्ट एसोसिएशन
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