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49% स्कूलों तक रास्ता ही नहीं

झारखंड के लगभग आधे विद्यालयों में हर मौसम में पहुंचना मुश्किल स्कूलों तक पहुंच पथ में झारखंड देश में सबसे पीछे रांची : राज्य के शत-प्रतिशत विद्यालयों में पहुंच पथ भी नहीं है. राज्य के 49 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं, जहां वर्ष भर हर मौसम में पहुंचने का रास्ता नहीं है. सरकार की ओर से […]

झारखंड के लगभग आधे विद्यालयों में हर मौसम में पहुंचना मुश्किल
स्कूलों तक पहुंच पथ में झारखंड देश में सबसे पीछे
रांची : राज्य के शत-प्रतिशत विद्यालयों में पहुंच पथ भी नहीं है. राज्य के 49 फीसदी विद्यालय ऐसे हैं, जहां वर्ष भर हर मौसम में पहुंचने का रास्ता नहीं है. सरकार की ओर से विद्यालय भवन तो बना दिये गये, पर पहुंच पथ नहीं बनाया गया.
स्कूलों तक पहुंच पथ की सुविधा के मामले में झारखंड देश में अंतिम पायदान पर है. दूसरे स्थान पर अरुणाचल प्रदेश है. अरुणाचल प्रदेश के 66 फीसदी स्कूलों तक ही पहुंच पथ है. एलिमेंट्री एजुकेशन ऑफ इंडिया एनयूइपीए व भारत सरकार द्वारा जारी डिस्ट्रिक्ट इंफॉरमेशन सिस्टम फॉर एजुकेशन की ताजा रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय स्तर पर देश के 89 फीसदी स्कूलों में सभी मौसम में स्कूल तक पहुंचा जा सकता है.
झारखंड में यह आंकड़ा राष्ट्रीय औसत से 38 फीसदी कम है. झारखंड में दस किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या कई राज्यों की तुलना में बेहतर है. झारखंड में प्रति दस किलोमीटर के दायरे में लगभग छह स्कूल है. इसमें प्रति वर्ष बढ़ोतरी भी हो रही है.
इस मामले में झारखंड देश में 10वें स्थान पर है. यहां प्राइमरी स्कूल की तुलना में अपर प्राइमरी स्कूल का अनुपात भी देश के कई राज्यों की तुलना में बेहतर है.
राज्य के 17 फीसदी मध्य विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप वर्ष में 220 दिन की पढ़ाई नहीं होती. शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुरूप मध्य विद्यालय में वर्ष में कम से कम 220 दिन की पढ़ाई अनिवार्य है.
बरसात में होती है परेशानी
स्कूल तक पहुंचने की सुविधा नहीं होने से सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में होती. बरसात में ऐसे विद्यालयों तक पहुंचने में शिक्षक व बच्चों को काफी परेशानी होती है. बरसात में ऐसे विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति भी घट जाती है. इसका असर बच्चों के पठन-पाठन पर पड़ता है.
उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहतर
स्कूलों तक पहुंच पथ के मामले में झारखंड की तुलना में उत्तराखंड व छत्तीसगढ़ की स्थिति बेहतर है. छत्तीसगढ़ में 93 फीसदी स्कूलों में सभी मौसम में स्कूल तक पहुंचने का रास्ता है, जबकि उत्तराखंड के 78 फीसदी स्कूलों तक जाने का रास्ता उपलब्ध है. बिहार के 84 फीसदी स्कूलों में पहुंच पथ है. देश में मात्र दो राज्य ऐसे है जहां शत-प्रतिशत विद्यालय में स्कूल तक जाने का रास्ता है. दिल्ली व चंडीगढ़.
भौगोलिक स्थिति है कारण
राज्य में प्रति एक किलोमीटर पर प्राथमिक विद्यालय, दो किलोमीटर पर मध्य व पांच किलोमीटर पर उच्च विद्यालय खोले गये हैं. प्राथमिक व मध्य विद्यालय खोलने का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है. कई ऐसे जगह भी विद्यालय खोले गये है, जहां सड़क थी ही नहीं. वैसे विद्यालयों में अब तक पहुंच पथ नहीं बनाये गये हैं.

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