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गंभीर मरीजों के लिए खतरनाक है रातू रोड
रांची : रातू रोड क्रिटिकल मरीजों के लिए जानलेवा हो गया है. इस मार्ग से क्रिटिकल मरीज को अस्पताल ले जाना घातक हो गया है, क्योंकि एंबुलेंस के सायरन का असर भी इस मार्ग पर नहीं पड़ता है. एंबुलेंस को भी आगे जाने के लिए रास्ता नहीं मिलता है. अस्पताल पहुंचाते-पहुंचाते मरीज की स्थिति और […]
रांची : रातू रोड क्रिटिकल मरीजों के लिए जानलेवा हो गया है. इस मार्ग से क्रिटिकल मरीज को अस्पताल ले जाना घातक हो गया है, क्योंकि एंबुलेंस के सायरन का असर भी इस मार्ग पर नहीं पड़ता है.
एंबुलेंस को भी आगे जाने के लिए रास्ता नहीं मिलता है. अस्पताल पहुंचाते-पहुंचाते मरीज की स्थिति और खराब हो जाती है. अगर तत्काल अस्पताल पहुंचाना आवश्यक हो, तो इस मार्ग से पार करना संभव नहीं है.
रातू रोड की यह स्थिति रोज की है. दिन के 9.30 बजे से लेकर 11.30 बजे तक पिस्का मोड़ से रातू रोड की ओर जाना मुश्किल हो जाता है. सड़क गाड़ियों से खचाखच भरी रहती हैं. वहीं शाम में रातू रोड से पिस्का मोड़ की ओर जाने में भी यही स्थिति रहती है. ऐसा ही एक मामला सोमवार को करीब 10.30 बजे रातू रोड पर देखने को मिला. एंबुलेंस को काफी देरी तक जाम में फंसना पड़ा. सायरन बजता रहा, पर जाम पर कोई असर नहीं पड़ा. अंतत: एंबुलेंस को उलटे साइड से भागना पड़ा.
वृद्धा को रिम्स पहुंचाने में हुई बड़ी परेशानी
करीब 10.30 बजे देवी मंडप गली से बाबा अस्पताल का एंबुलेंस एक वृद्धा मरीज को लेकर निकला. सायरन बजाते हुए वह आगे निकल रहा था. इस बीच लाहकोठी के पास जाम में फंस गया. तब उसके सायरन का भी कोई असर नहीं हो रहा था. थक हार कर चालक ने सड़क की दूसरी ओर से एंबुलेंस भगाना शुरू किया. फिर भी इस एंबुलेंस को करीब एक किमी की दूरी तय करने में करीब 16 मिनट का समय लगा, जबकि रातू रोड के बाद रिम्स तक करीब तीन किमी की दूरी तय करने में उसे 10 मिनट ही लगा. रिम्स पहुंचने पर वृद्धा को भरती कराया गया.
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