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प्रेम पूर्ण हो कर्म: देवराहा बाबा

रांची : भगवान को अनन्य भाव से एवं प्रेम से प्राप्त किया सकता है. हम जो कुछ भी कर्म करते हैं, उसके फल की प्राप्ति तक हमारा प्रयास नहीं होता. जब हमारा प्रयास फल प्राप्ति तक होगा, तो हम सफल हो सकते हैं. गीता के दूसरे अध्याय के 48 वें श्लोक में यह स्पष्ट है […]

रांची : भगवान को अनन्य भाव से एवं प्रेम से प्राप्त किया सकता है. हम जो कुछ भी कर्म करते हैं, उसके फल की प्राप्ति तक हमारा प्रयास नहीं होता. जब हमारा प्रयास फल प्राप्ति तक होगा, तो हम सफल हो सकते हैं. गीता के दूसरे अध्याय के 48 वें श्लोक में यह स्पष्ट है कि समत्व योग ही कर्म है. उक्त बातें शनिवार को कांके रोड स्थित राम कुटीर मंच पर विराजमान ब्रह्म ऋषि योगीराज देवराहा हंस बाबा ने कही.
उन्होंने कहा कि हमें अपने हृदय के अंतर भाव में इष्ट देव को ध्यान में रख कर कोई भी कर्म करना चाहिए. इससे हमारा कार्य सफल होता है. परमात्मा के प्रति पूर्ण श्रद्धा के साथ अनन्य भाव से किये गये कर्म से हमारा काम सफल होता है. जब तक आपकी भक्ति में निरंतरता नहीं होगी, तब तक आपको आत्म दर्शन नहीं होंगे. आत्म दर्शन के बाद जीव को परमात्मा के दर्शन का अनुभव होता है. प्रवचन के बाद भक्तों द्वारा बाबा की आरती उतारी गयी एवं भक्तों के बीच प्रसाद का वितरण किया गया.

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