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6543 करोड़ रुपये खर्च का नहीं दिया हिसाब

5264 आवंटन के उपयोगिता प्रमाण पत्र भी निर्गत नहीं किये गये सबसे अधिक 3185 प्रमाण पत्र नगर विकास विभाग का लंबित रांची : राज्य सरकार के 27 विभागों ने कुल 6543.02 करोड़ रुपये खर्च का हिसाब नहीं दिया है. ये पैसे केंद्रीय अनुदान या सहायता राशि के हैं. खर्च से संबंधित कुल 5264 आवंटन के […]

5264 आवंटन के उपयोगिता प्रमाण पत्र भी निर्गत नहीं किये गये
सबसे अधिक 3185 प्रमाण पत्र नगर विकास विभाग का लंबित
रांची : राज्य सरकार के 27 विभागों ने कुल 6543.02 करोड़ रुपये खर्च का हिसाब नहीं दिया है. ये पैसे केंद्रीय अनुदान या सहायता राशि के हैं. खर्च से संबंधित कुल 5264 आवंटन के उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट) भी निर्गत नहीं किये गये हैं. यह बकाया वित्तीय वर्षो 2006 से 2013 के दौरान का है, जो 31 मार्च 2014 तक लंबित था. यानी विभाग वर्षो पहले लिये गये पैसे का खर्च संबंधी प्रमाण पत्र नहीं दे रहे हैं.
नियमानुसार पैसा आवंटन के 12 माह के अंदर सरकार को उपयोगिता प्रमाण पत्र प्रधान महालेखाकार (सीएजी) को सौंप देने चाहिए. सीएजी ने 31 मार्च 2014 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष की रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है. सबसे अधिक 3185 प्रमाण पत्र नगर विकास विभाग का लंबित है, जो कुल 1182.54 करोड़ रु के खर्च से संबंधित है. दरअसल केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं-कार्यक्रमों के लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों को अनुदान या सहायता राशि देती है.
ऑडिट रिपोर्ट की जांच के दौरान उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देने के कई कारण मिले हैं. इनमें विभागों द्वारा समय पर पैसे का आवंटन न होना, काम हो जाने पर खर्च संबंधी रिपोर्ट नहीं मिलना या खर्च की प्रत्याशा में पैसे विभिन्न एकाउंट में पड़े रहना शामिल है. कल्याणकारी योजनाओं-कार्यक्रमों के पैसे ससमय खर्च न कर पाने को महालेखाकार ने वित्तीय कुप्रबंधन बताया है.
सरकार को सलाह दी है कि वह इसके निराकरण के उपाय करे. वहीं बेहतर वित्तीय प्रबंधन के लिए कई सुझाव भी दिये गये हैं.
गौरतलब है कि सीएजी की रिपोर्ट विधानसभा में सरकार के समक्ष प्रस्तुत की जाती है. सीएजी ने विभिन्न योजनाओं के पैसे खर्च न हो पाने पर इसे निकाल कर व्यक्तिगत बही खाते (पर्सनल लेजर एकाउंट या पीएलए) में रखने को भी वित्तीय अनियमितता बताया है. वित्तीय वर्ष 2013-14 की समाप्ति पर पाया गया कि सरकार के विभिन्न विभागों में 101 पीएल एकाउंट संचालित थे. सीएजी की रिपोर्ट के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011-12 से 2013-14 तक पीएल एकाउंट में 2597 करोड़ रु रखे गये.

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