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विधानसभा सत्र : राइट टू सर्विस का पालन नहीं हुआ, तो कार्रवाई

विधानसभा सत्र : दाखिल-खारिज में भ्रष्टाचार का मामला उठा, रघुवर दास ने सदन को दिलाया भरोसा सात-आठ महीने में सब कुछ ऑललाइन कर दिया जायेगा रांची : राइट टू सर्विस एक्ट के तहत तय समय सीमा के अंदर काम नहीं करने वाले अधिकारियों पर सरकार कार्रवाई करेगी. शुक्रवार को सदन में जमीन म्यूटेशन के नाम […]

विधानसभा सत्र : दाखिल-खारिज में भ्रष्टाचार का मामला उठा, रघुवर दास ने सदन को दिलाया भरोसा
सात-आठ महीने में सब कुछ ऑललाइन कर दिया जायेगा
रांची : राइट टू सर्विस एक्ट के तहत तय समय सीमा के अंदर काम नहीं करने वाले अधिकारियों पर सरकार कार्रवाई करेगी. शुक्रवार को सदन में जमीन म्यूटेशन के नाम पर सीओ ऑफिस में भ्रष्टाचार का मामला उठा. सत्ता पक्ष के विधायक राज सिन्हा ने अल्पसूचित के तहत सवाल उठाया था कि बगैर पैसा के सीओ ऑफिस से आम लोगों की जमीन का दाखिल खारिज (म्यूटेशन) नहीं होता है.
पूरे राज्य में एक लाख से अधिक म्यूटेशन के आवेदन लंबित है. सरकार भ्रष्टाचार दूर करने और सुशासन की बात कर रही है, लेकिन गरीब लोगों का दोहन हो रहा है. सरकार के जवाब के दौरान ही मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपनी बात रखते हुए सदन को भरोसा दिलाया कि राइट टू सर्विस एक्ट में 90 दिन के अंदर कार्रवाई करने का निर्देश है. समय सीमा के अंदर काम नहीं करने वाले अधिकारी नपेंगे. सरकार लापरवाही बरदाश्त नहीं करेगी.
मुख्यमंत्री श्री दास ने कहा कि सरकार आइटी को सुदृढ़ करेगी. सात-आठ महीने में सबकुछ ऑन लाइन कर दिया जायेगा. इससे पूर्व विभागीय मंत्री अमर बाउरी ने सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि नियमवाली के तहत 30 दिन के अंदर दाखिल खारिज कर देना है. आवेदन भी विधिवत नहीं आते हैं.
सरकार इसे सुनिश्चित करेगी. इस पर प्रश्नकर्ता राज सिन्हा का कहना था कि गरीब कार्यालय का चक्कर काटते रहते हैं. कहीं कहा जाता है कि रसीद नहीं है. पदाधिकारियों ने दिग्भ्रमित करने का काम किया है. सही जवाब नहीं दिया जा रहा है. सरकार विशेष समिति से जांच करा ले कि कितने आवेदन लंबित हैं. सीआइ, कर्मचारी के थैले में कितने आवेदन रहते हैं. सत्ता पक्ष के ही राधाकृष्ण किशोर ने सवाल उठाया कि सदन को विधायक के सवाल पर पदाधिकारियों ने दिग्भ्रमित किया है. एक लाख लंबित आवेदन की बात आयी है, सरकार बताये कि कितने आवेदन लंबित हैं. अंत में मुख्यमंत्री के जवाब के बाद विषय पर वाद-विवाद खत्म हुआ.
आपदा प्रबंधन पर तीखे सवाल, विभाग होगा सुदृढ़
सदन में शुक्रवार को पहली पाली की शुरुआत राज्य में आपदा प्रबंधन के तीखे सवाल से हुई. विपक्ष के विधायक बादल पत्रलेख ने सरकार से सवाल किया था कि आपदा प्रबंधन का राज्य में कोई कैडर है या नहीं? आपदा के कुशल प्रबंधन के लिए सरकार के स्तर पर क्या व्यवस्था है. प्रभारी मंत्री सीपी सिंह का जवाब था कि राज्य और जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन प्राधिकार है. इसके लिए कोई अलग से कैडर की जरूरत नहीं है. प्रश्नकर्ता ने सरकार से जानना चाहा कि राज्य स्तर पर प्राधिकार में कौन-कौन सात मंत्री सदस्य हैं. श्री सिंह ने चुटकी ली कि एक सदस्य तो मैं हूं, मेरा नाम तो आप जानते ही होंगे. इस पर विपक्ष के विधायक प्रदीप यादव ने कहा कि वह मंत्रियों का नाम जानना चाह रहे हैं.
प्रभारी मंत्री ने बताया कि इसमें मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में स्वास्थ्य, जल संसाधन, पथ निर्माण, कृषि, नगर विकास, वन विभाग, भू-राजस्व के मंत्री सदस्य हैं और मुख्य सचिव सीइओ हैं. प्रभारी मंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन को लेकर सरकार गंभीर है. हर जिला में पैसा भेज दिया गया है. उपायुक्तों को पांच-पांच लाख रुपये दिये गये हैं. राज्य में जिला स्तर पर इमरजेंसी सेंटर बनाये जा रहे हैं. रांची में इसके लिए 3.04 एकड़ जमीन चिह्न्ति कर ली गयी है. आपदा प्रबंधन का अपना भवन होगा.
विस्थापितों का मामला उठा
विधायक जानकी यादव ने कोडरमा जिला के बांङोडीह पावर प्लांट के विस्थापितों का मामला सदन में उठाया. विधायक ने सरकार जवाब मांगा था कि क्षेत्र में विस्थापितों के बीच आक्रोश है. सरकार विस्थापित नीति बनाते हुए 25 किमी के दायरे में बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराये. 2280 एकड़ जमीन रैयत से ली गयी है. डीवीसी ने किसी को चपरासी तक नहीं बनाया है. विभागीय मंत्री अमर बाउरी का कहना था कि सरकार 2008 विस्थापन-पुनर्वास नीति के तहत लाभ दिलाने का काम कर रही है. 15 किमी दायरे की बात डीवीसी ने कही है. विपक्ष के विधायक मनोज यादव का कहना था कि डीवीसी ने हमेशा वादा खिलाफी की है. संसदीय कार्य मंत्री सरयू राय ने सदन को आश्वसत किया कि डीवीसी के अधिकारियों को बुलाया जायेगा. सरकार उनसे बात करेगी.

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