हटिया : हटिया के ग्रामीणों ने स्वर्णरेखा नदी के अस्तित्व को बचाने व प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है. रविवार को चाईबासा टोली, अपर हटिया, मुसलिम मुहल्ला, पिठिया टोली, गनीयार टोली व गणोश मुहल्ला के सैकड़ों ग्रामीणों ने नदी किनारे फैली गंदगी को साफ किया.
ग्रामीणों ने बताया कि जमीन दलालों ने नदी की जमीन को बेच दिया है. पहले नदी की चौड़ाई 45 फीट थी, जो अब घट कर सात फीट हो गयी है. राइस मिल, वियर फैक्टरी व शराब फैक्टरी का गंदगी सीधे नदी में गिरता है, जिससे पानी जहरीला हो गया है. शनिवार को नदी का पानी पीने से एक गाय की मौत हो गयी थी. स्वर्णरेखा नदी को जब तक स्वच्छ नहीं बनाया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
क्या कहते हैं ग्रामीण
रमेश तिवारी : तुपुदाना क्षेत्र के कारखानों का गंदा पानी सीधे नदी में बहाया जाता है. ग्रामीणों ने कई बार इसके विरोध में आंदोलन किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
विपिन सिंह : स्वर्णरेखा नदी तट पर दाह संस्कार करने के बाद स्नान के लिए लोगों को अन्यत्र से पानी लाना पड़ता है. नदी का पानी उपयोग करने लायक नहीं है.
नउरी कच्छप : हम लोग स्वर्णरेखा नदी आश्रित हैं. नदी का पानी प्रदूषित होने के कारण बहुत परेशानी हो रही है.
सावित्री देवी : स्वर्णरेखा नदी का पानी बहुत प्रदूषित हो गया है. बदबू से नदी के समीप बने घरों में रहना मुश्किल हो गया है.
बेबी देवी : नदी के पानी में स्नान करनेवाले कई बच्चे गंभीर बीमारी से पीड़ित हो गये हैं. नदी का पानी पीने वाले जानवरों की मौत हो जाती है.
चिंता देवी : चैती छठ नजदीक है. स्वर्णरेखा नदी का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि उसमें पूजा करना मुश्किल है.
शर्मिला टोप्पो : नदी को स्वच्छ करने की मांग काफी समय से की जा रही है, लेकिन इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही.
बिरसी कच्छप : नदी का पानी जहरीला हो गया है. मवेशी भी नदी का पानी अब नहीं पीते हैं.
शमी गाड़ी : जमीन दलालों ने नदी की जमीन को बेच दिया है, जिससे नदी की चौड़ाई घट गयी है.
दीपक राम : नदी की जमीन पर लोगों घर बना लिया है, जबकि नदी से दो सौ फीट छोड़ कर घर बनाना है.