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हिरासत में मौत मामले चार पुलिसकर्मियों को सात साल जेल

नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने 1999 में हिरासत में यातना देने से एक व्यक्ति की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस के चार कर्मियों को सजा सुनाते हुए कहा कि उन लोगों ने एक बहुमूल्य जान ले ली और पीडि़त की पुकार नहीं भुलायी जा सकती है. हेड कांस्टेबलों में भगवान और उजागर […]

नयी दिल्ली. दिल्ली की एक अदालत ने 1999 में हिरासत में यातना देने से एक व्यक्ति की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस के चार कर्मियों को सजा सुनाते हुए कहा कि उन लोगों ने एक बहुमूल्य जान ले ली और पीडि़त की पुकार नहीं भुलायी जा सकती है. हेड कांस्टेबलों में भगवान और उजागर सिंह और कांस्टेबलों में श्रीपाल और सियाराम को जेल की सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि कानून के रखवाले होकर उन्होंने थाने में एक व्यक्ति को इतनी यातना दी, जिससे उसकी मौत हो गयी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश दिग विनय सिंह ने फैसले में कहा कि यातना के दौरान थाने में व्यक्ति (पीडि़त) की चीख पुकार को भुलाया नहीं जा सकता. पांचवे आरोपी कंंस्टेबल चमन लाल के खिलाफ मामला खत्म कर दिया गया, क्योंकि लंबित मुकदमे के दौरान 2006 में उसकी मौत हो गयी थी. अदालत ने चारों गुनहगारों को प्रत्येक को मृतक के परिवारवालों को 2.5 लाख रुपये देने का भी आदेश दिया और उन लोगों की यह गुहार ठुकरा दी कि उन्हें जेल नहीं भेजा जाये और इसके स्थान पर मुआवजा राशि बढ़ा दी जाये. अभियोजन के मुताबिक, 15 अगस्त, 1999 को अलीपुर पुलिस थाने में तैनात पांच पुलिसकर्मियों ने महेंद्र सिंह को जाली मुद्रा रखने के आरोप में पकड़ा और अवैध तरीके से हिरासत में रखा.

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