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जन विरोध के कारण सिंचाई परियोजनाएं स्थगित

कंस, कांटी, सुआली व झरझरा परियोजना प्रभावितवरीय संवाददाता रांचीजल संसाधन विभाग ने चार मध्यम सिंचाई परियोजनाएं को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया है. इनमें रांची जिले की कंस व कांटी, गुमला की सुआली तथा प.सिंहभूम जिले की झरझरा परियोजना शामिल हैं. दरअसल इन सब को स्थगित रखने का कारण जन विरोध है, जबकि कंस […]

कंस, कांटी, सुआली व झरझरा परियोजना प्रभावितवरीय संवाददाता रांचीजल संसाधन विभाग ने चार मध्यम सिंचाई परियोजनाएं को फिलहाल स्थगित रखने का निर्णय लिया है. इनमें रांची जिले की कंस व कांटी, गुमला की सुआली तथा प.सिंहभूम जिले की झरझरा परियोजना शामिल हैं. दरअसल इन सब को स्थगित रखने का कारण जन विरोध है, जबकि कंस व झरझरा परियोजना पर अब तक 40 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हो चुकी है. कंस जलाशय योजना का 70 फीसदी हेड वर्क तथा मेन कैनल का कुछ काम पूरा भी हो गया है. वहीं झरझरा में हेड वर्क सहित अन्य कार्य लगभग शून्य है. इस पर भी 11 करोड़ रु खर्च हो चुके हैं. कंस परियोजना 1978 में तथा झरझरा परियोजना 1992 में शुरू हुई थी. इन सभी परियोजनाओं से 15 हजार हेक्टेयर से अधिक खेतों को पानी मिल सकता था, पर स्थानीय रैयत अपनी जमीन गंवाना नहीं चाहते. विभागीय सूत्रों के अनुसार विरोध का मुख्य वजह यह है कि जहां की जमीन परियोजना कार्य में ली जायेगी, वहां के खेतों को पानी नहीं मिलेगा. सिंचाई का लाभ कैनल के जरिये वहां से दूर की जमीन पर उपलब्ध होगा. रैयतों का विरोध इसी को लेकर है. दरअसल पाकुड़ जिले की तोराई व प.सिंहभूम की सतपोतका सिंचाई परियोजनाएं भी जन विरोध के कारण शुरू नहीं हो सकी हैं. रद्द किये गये प्रोजेक्टप्रोजेक्टजिलाप्रारंभ वर्षसिंचाई क्षमताकुल लागतअब तक खर्चझरझराप.सिंहभूम19924860 हेक्टेयर49.8 करोड़लगभग 13 करोड़कांटीरांची20084370 हेक्टेयर113.16 करोड़10 लाखकंसरांची19782480 हेक्टेयर44.17 करोड़27.19 करोड़सुआलीगुमला20103421 हेक्टेयर88.57 करोड़नगण्य

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