रांची: ऊर्जा मंत्री राजेंद्र सिंह ने पतरातू थर्मल पावर स्टेशन (पीटीपीएस) की कुल 10 में से पांच यूनिटों को स्क्रैप (बेकार) घोषित करने का निर्देश दिया है. इनमें यूनिट संख्या एक, दो, तीन, चार व पांच शामिल हैं.
अधिकतम 45 वर्ष पुरानी ये यूनिटें बिल्कुल बेकार हो गयी हैं. इनमें से चार नंबर यूनिट को छोड़ शेष से उत्पादन वर्षो से बंद है. मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद इन बेकार यूनिटों को बंद करने की मांग भी होती रही है. अब जाकर सरकार ने इस पर पहल की है. पीटीपीएस की कुल उत्पादन क्षमता पूर्व में 850 मेगावाट थी, जिसे पुन: निर्धारण कर 770 मेगावाट कर दिया गया था. इधर, इस प्लांट से अधिकतम 150 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन होता है.
11 वर्षो में एक मेगावाट का भी पावर प्लांट नहीं लगा: सिद्धार्थ झवर
उद्यमी सिद्धार्थ झवर ने कहा है कि झारखंड पूरे देश में एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां सरकारी क्षेत्र में 11 वर्षो से एक मेगावाट का भी पावर प्लांट नहीं लगा. सिर्फ एक हजार मेगावाट बिजली का और उत्पादन कर राज्य की जरूरत पूरी की जा सकती है. उधर, पतरातू थर्मल पावर प्लांट (पीटीपीएस) की क्षमता 770 मेगावाट है, लेकिन यहां से महज 80-100 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसमें से 40 मेगावाट प्लांट को ही चलाने के लिए ऑग्जिलरी पावर के रूप में इस्तेमाल हो जाता है. ऐसे में इसे चलाने की क्या जरूरत है?