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आंगनबाड़ी केंद्रों की स्थिति ठीक नहीं

रांची : राज्य में हर वर्ष लगभग 46 हजार बच्चों की मौत होती है. इनमें ज्यादातर बच्चे कुपोषित होते हैं. कुपोषित बच्चों सहित गर्भवती व धात्री महिलाओं व एनीमिक किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार दिया जाता है. राज्य में कुल 38432 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से 2551 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं. महालेखाकार (एजी) की […]

रांची : राज्य में हर वर्ष लगभग 46 हजार बच्चों की मौत होती है. इनमें ज्यादातर बच्चे कुपोषित होते हैं. कुपोषित बच्चों सहित गर्भवती धात्री महिलाओं एनीमिक किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषाहार दिया जाता है.

राज्य में कुल 38432 आंगनबाड़ी केंद्र हैं. इनमें से 2551 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र हैं. महालेखाकार (एजी) की रिपोर्ट से तीन जिलों धनबाद, गढ़वा दुमका में भारी गड़बड़ी की शिकायत मिली थी.

रिपोर्ट में छह माह से छह वर्ष तक के बच्चों को विटामिनमिनिरल किशोरियों को हरी सब्जियां नहीं दिये जाने की भी बात थी. यह जांच वर्ष 2006 से 2011 के बीच आंगनबाड़ी केंद्रों में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन विभागीय लोगों की कार्यशैली पर आधारित थी.

इससे पूरे राज्य के हालात का पता चलता है. रिपोर्ट में जिक्र था कि जांच के दौरान पाया गया कि गढ़वा के 176 आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ 12 से 251 दिन धनबाद के 179 आंगनबाड़ी केंद्रों में सिर्फ दो से लेकर 42 दिन ही पोषाहार दिये गये. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है, जिसमें वर्ष में कम से कम 300 दिन पोषाहार देने को कहा गया है.

यही नहीं, बच्चों, किशोरियों कुपोषित बच्चों को कैलोरी के तय मानक से कम कैलोरी दिये जाने के पुख्ता तथ्य मिले थे. अब समाज कल्याण विभाग की वर्तमान सचिव मृदुला सिन्हा स्थिति सुधारने का प्रयास कर रही हैं.

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