रांची : राज्य के 4423 पंचायत भवनों (पंचायत सचिवालय) में से 2694 का निर्माण अभी तक नहीं हो पाया है. काम की धीमी रफ्तार व प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से पंचायती राज की स्थापना का लक्ष्य 10 वर्ष पीछे चल रहा है.
इसका खुलासा महालेखाकार (एजी) की रिपोर्ट में हुआ है. एजी ने पंचायती राज विभाग सहित राज्य के आठ जिलों के 18 प्रखंडों के कुल 169 पंचायत भवनों का निरीक्षण कर सैंपल रिपोर्ट बनायी है. इनमें से 31 का भौतिक निरीक्षण भी किया गया है.
अप्रैल से जुलाई-12 तक की जांच रिपोर्ट के अनुसार कुल 4423 पंचायतों में से 351 की योजना ही नहीं बनी. पंचायतों के लिए संरचना निर्माण शुरू होने के एक दशक बाद भी पंचायती राज का उद्देश्य पूरा नहीं हो सका है.
योजना के तहत स्वीकृत शेष 4072 पंचायत भवनों में से मार्च-12 तक 1729 (42.4 फीसदी) ही पूरे हुए थे. शेष 2343 निर्माणाधीन थे. उधर विभाग के पास पूर्ण पंचायतों की योजनावार सूची तक उपलब्ध नहीं थी.
निरीक्षण वाले कुल 169 पंचायत भवनों का निर्माण 17 से 20 लाख रुपये प्रति भवन की दर से हुआ. इनमें से चार का निर्माण शुरू ही नहीं हुआ. बन चुके 61 भवनों का काम दो से 40 माह विलंब से पूरा हुआ. 27 को 14 माह विलंब से पंचायतों को सौंपा गया. फिर भी इन भवनों में बिजली–पानी की सुविधा नहीं थी. शेष 34 भवन पंचायतों को सौंपे ही नहीं गये.
पंचायत भवन पूर्ण होने पर इन्हें सौंपने का काम प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) व प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी (बीपीओ) का है. इन अधिकारियों ने फाइलों पर पंचायत भवन नहीं सौंपने का कोई कारण दर्ज नहीं किया था.
एजी ने सारी बातों की जानकारी सितंबर-12 में ही राज्य सरकार को दी, लेकिन अब तक सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया है.