जनवरी 2015 में उन्हें आर्सेलर मित्तल का सीइओ भारत व चीन बनाया गया है. श्री शर्मा ने इंजीनियरिंग की तैयारी के सिलसिले में नौ महीने तक रांची में ही पढ़ाई की थी. उनके पिता केंद्रीय विद्यालय में शिक्षक थे. श्री शर्मा कहते हैं कि झारखंड व इसके लोगों के प्रति उनकी गहरी आस्था रही है. अब उन्हें यहां काम करने का मौका मिल रहा है. सीइओ बनने के बाद वह पहली बार रांची आये हैं. उनसे प्रभात खबर के लिए सुनील चौधरी ने बातचीत की.
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आर्सेलर मित्तल झारखंड में प्लांट लगायेगा : संजय शर्मा
आर्सेलर मित्तल के सीइओ (भारत-चीन) संजय शर्मा का मानना है कि पूरी दुनिया में भारत की छवि बदली है. विकास को लेकर वातावरण बना है. युवा भी विकास चाहते हैं. विकास के दौर में आर्सेलर मित्तल भी भागीदार बनना चाहती है. भारत में प्लांट स्थापित करने को लेकर कंपनी गंभीर है. संजय शर्मा ने वर्ष […]
आर्सेलर मित्तल के सीइओ (भारत-चीन) संजय शर्मा का मानना है कि पूरी दुनिया में भारत की छवि बदली है. विकास को लेकर वातावरण बना है. युवा भी विकास चाहते हैं. विकास के दौर में आर्सेलर मित्तल भी भागीदार बनना चाहती है. भारत में प्लांट स्थापित करने को लेकर कंपनी गंभीर है. संजय शर्मा ने वर्ष 1994 में आइआइटी रुड़की से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. वर्ष 2000 से वह आर्सेलर मित्तल में हैं. लंबे समय से वह चीन में ही कार्यरत थे.
झारखंड में आर्सेलर मित्तल के एमओयू के 10 वर्ष हो गये हैं, पर प्लांट लगाने की दिशा में काम शुरू नहीं हुआ क्यों ?
पहले क्या हुआ नहीं कह सकते. पर अब बेहतर माहौल है. आर्सेलर-मित्तल विकास के लिए भागीदार बनना चाहता है. झारखंड में प्लांट को लेकर कंपनी काफी गंभीर है. इस दिशा में अब काम तेजी से होगा. पूरे देश में वातावरण बदल रहा है. भारत के युवा विकास की राह देख रहे हैं. यदि विकास होगा तो उद्योग भी स्थापित होंगे.
आप मुख्यमंत्री से मिले, क्या बातचीत हुई है?
नयी सरकार में मेरी मुख्यमंत्री के साथ पहली मुलाकात थी. उन्हें बधाई देने आया था. उनसे कहा है कि कंपनी झारखंड के विकास में सहयोग के लिए तैयार है. हम प्लांट लगाना चाहते हैं. हमारी प्राथमिकता रॉ मैटीरियल की उपलब्धता है. रॉ मैटीरियल की बात फाइनल होते ही हम प्लांट लगाने की दिशा में काम करेंगे. भूमि की कोई समस्या नहीं है. यह हो जायेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास ने काफी सकारात्मक रुख दिखाया है. वे हमारी परियोजना को लेकर समीक्षा करेंगे. आर्सेलर मित्तल की प्राथमिकता सुरक्षा और कानून के पालन की होती है. कंपनी देश के नियम-कानूनों के अनुसार ही आगे बढ़ती है. माइंस से संबंधित मामले सुलझ जायें, फिर कंपनी तेजी से आगे बढ़ेगी.
करमपदा लौह अयस्क को लेकर क्या समस्या है?
करमपदा में दो माइंस आर्सेलर मित्तल को आवंटित हुए हैं. एक का एमएल मिल चुका है. दूसरे के पीएल में वन एवं पर्यावरण स्वीकृति को लेकर कुछ इश्यू है. जिस पर सरकार से सहयोग की अपेक्षा की गयी है. उम्मीद है सब बेहतर ही होगा. इस दिशा में प्रगति बेहतर होने की उम्मीद है.
पेटरवार में 12 एमटी के स्टील प्लांट क्या एक साथ लगेंगे?
कंपनी स्टील प्लांट लगाना चाहती है. इसे फेजवाइज किया जायेगा. जैसे-जैसे जगह उपलब्ध होती जायेगी, हम करते जायेंगे. पहले चरण में तीन एमटी क्षमता के स्टील प्लांट पर काम किया जायेगा.
आप चीन में लंबे समय से काम कर रहे हैं. भारत और चीन की कार्यशैली में क्या अंतर है?
दोनों देश अपने आप में महत्वपूर्ण है. कुछ मामलों में चीन बेहतर है तो कुछ मामलों में भारत. चीन हार्डवेयर के मामले में आगे है तो भारत सॉफ्टवेयर और क्रियेटिविटी को लेकर आगे है. काम के मामले में चीन भारत से फास्ट है. एक भारतीय होने के नाते मैं कह सकता हूं कि भारत में अपार संभावनाएं हैं. हाल के दिनों में भारत की छवि बदली है. माहौल बेहतर हो रहा है.
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