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गरीबों को 2.5 लाख की सहायता रोकी गयी

रांची: स्वास्थ्य विभाग ने गरीबों को असाध्य रोगों के इलाज के लिए 2.5 लाख रुपये तक की सहायता योजना फिलहाल रोक दी है. सिविल सजर्नों को चिट्ठी जारी कर कहा गया है कि अभी 2.5 लाख रु तक की सहायता नहीं मिलेगी. इसकी जगह डेढ़ लाख रु तक की सहायता का पुराना प्रावधान लागू रहेगा. […]

रांची: स्वास्थ्य विभाग ने गरीबों को असाध्य रोगों के इलाज के लिए 2.5 लाख रुपये तक की सहायता योजना फिलहाल रोक दी है. सिविल सजर्नों को चिट्ठी जारी कर कहा गया है कि अभी 2.5 लाख रु तक की सहायता नहीं मिलेगी. इसकी जगह डेढ़ लाख रु तक की सहायता का पुराना प्रावधान लागू रहेगा.
गौरतलब है कि बीपीएल परिवार के सदस्यों को उन्हें असाध्य रोग हो जाने पर सरकार अधिकतम डेढ़ लाख रुपये तक की सहायता देती रही है. इधर, गत कुछ वर्षो से इलाज खर्च में वृद्धि के कारण सहायता राशि बढ़ाने की जरूरत महसूस हो रही थी. इसी आलोक में इसे बढ़ा कर ढ़ाई लाख रु कर दिया गया था. अधिक वित्तीय सहायता के लिए कैबिनेट की सहमति के बाद विभाग ने 22 सितंबर 2014 को ही इसका संकल्प जारी कर दिया था. असाध्य रोगों के इलाज के लिए अभी देश भर के 29 अस्पताल सूचीबद्ध हैं. इन अस्पतालों में कुल 12 असाध्य रोगों जैसे कैंसर, हृदय रोग, गुरदा रोग, असाध्य मानसिक रोग, एड्स, टोटल हिप रिप्लेसमेंट, स्पाइनल सजर्री, मेजर वैसकुलर डिजीज, बोन मेरी ट्रांसप्लांट, लिवर ट्रांसप्लांट, हेपाटोमा तथा एडवांस सिरोसिस ओपेन लिवर का इलाज कराया जा सकता है.
क्या है कारण
बढ़ी सहायता राशि (2.5 लाख) के लिए बीमारियों के इलाज का रेट चार्ट (दर) तैयार किया जाना है, पर 22 सितंबर को जारी संकल्प के पांच माह बाद भी यह काम अब तक नहीं हुआ है. एक विभागीय अधिकारी के अनुसार यह काम निदेशालय को करना है. इधर, दर तय न होने से गरीब मरीजों को उनके इलाज के लिए आर्थिक सहायता देने में परेशानी आ रही थी, इसलिए अभी पुरानी व्यवस्था ही पुराने दर से लागू कर दी गयी है. हालांकि सिविल सजर्नों को भेजी चिट्ठी में इसके कारण का जिक्र नहीं है. दरअसल निदेशालय को यह तय करना था कि किन-किन रोगों में इलाज के लिए अधिकतम 2.5 लाख रुपये तक की सहायता दी जी सकती है. विभागीय सूत्रों के अनुसार कैंसर व लीवर ट्रांसप्लांट जैसे रोग के लिए 2.5 लाख तक की सहायता तो दी जा सकती है, पर पेसमेकर लगाने के लिए 2.5 लाख रुपये नहीं दिये जा सकते. ऐसे ही मामले की दर तय करनी है.

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