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37 वर्षो से नहीं हुआ है पशु चिकित्सकों का प्रमोशन

रांची: राज्य में पदस्थापित पशु चिकित्सकों को 37 वर्षो से प्रोन्नति नहीं मिली है. इस कारण कई पशु चिकित्सक बिना प्रोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वर्तमान में राज्य में कार्यरत सभी पशु चिकित्सक बेसिक कैडर पर ही काम कर रहे हैं. सरकार ने इन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से सीनियर पदों पर पदस्थापित कर […]

रांची: राज्य में पदस्थापित पशु चिकित्सकों को 37 वर्षो से प्रोन्नति नहीं मिली है. इस कारण कई पशु चिकित्सक बिना प्रोन्नति के सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वर्तमान में राज्य में कार्यरत सभी पशु चिकित्सक बेसिक कैडर पर ही काम कर रहे हैं. सरकार ने इन्हें अपनी सुविधा के हिसाब से सीनियर पदों पर पदस्थापित कर दिया है.

पशु चिकित्सकों को प्रमोशन देने में सबसे बड़ी बाधा इनकी सेवा शर्त नियमावली की थी, वह भी एक साल से बन कर तैयार है. पशु चिकित्सकों की वरीयता सूची भी बना ली गयी है. लेकिन, कैडर रीविजन नहीं होने के कारण किस स्तर के पद पर कितने पशु चिकित्सक पदस्थापित होंगे, तय नहीं किया गया है. विभाग के दक्षिण छोटानागपुर प्रमंडल के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एसएस बैठा और सहायक निदेशक (पॉलट्री) बिना नियमित प्रमोशन के ही अगले छह माह में रिटायर हो जायेंगे.

1977 में हुआ था प्रमोशन : पशु चिकित्सकों का अंतिम बार प्रमोशन 1977 में हुआ था. इसमें झारखंड के पशुपालन विभाग के पूर्व निदेशक डॉ बिंदेश्वरी चौधरी भी थे. अभी जितने भी संयुक्त निदेशक, निदेशक, महाप्रबंधक के पद पर पदस्थापित पदाधिकारी हैं, सभी बिना प्रमोशनवाले हैं. विभाग के पशु चिकित्सकों की सेवा शर्त नियमावली की अधिसूचना 13.11.2013 को जारी हुई है. इसके अनुसार निदेशक का पद भी कैडर का कर दिया गया है. 72 प्रमोशनल पद भी चिह्न्ति किया गया है. इसके तहत अब वरीय पदाधिकारी को ही निदेशक बनाया जा सकता है. राज्य में करीब 700 पद पशु चिकित्सकों का है. इसमें 200 पद खाली है.

जिला संभालने वालों को दे दिया जाता है प्रखंड स्तर का पद : प्रमोशन संबंधी मामला नहीं सुलझने के कारण स्थानांतरण-पदस्थापन में भी पैसे का खूब खेल होता है. अधिकारी अपनी पैरवी और पैसे के बल पर इच्छा के अनुसार पद पा लेते हंै. कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि जिला या राज्य स्तर पर काम करनेवाले पशु चिकित्सकों को प्रखंड स्तरीय पदों पर पदस्थापित कर दिया जाता है.

हम लोगों ने बहुत बार पशु चिकित्सकों के प्रमोशन के लिए लिखा है. संचिका निगरानी में भी गयी थी. वहां से कुछ नहीं हो पाया है. इस कारण अधिकारियों को एक बार भी प्रमोशन नहीं मिल सका है. सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.

डॉ विमल बाखला

अध्यक्ष, झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ

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