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क्रिकेट प्रेमी निराश, प्रशासन सुस्त
रांची: अगले सप्ताह से क्रिकेट का महाकुंभ विश्वकप की शुरुआत हो रही है. लोगों को न केवल भारत, बल्कि अन्य टीमों का प्रदर्शन भी रोमांचित करता है. आलम यह है कि इस बार रांची के क्रिकेट प्रेमियों को या तो निराश रहना होगा या उन्हें अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी. ऐसा केबल कंपनियों की […]
रांची: अगले सप्ताह से क्रिकेट का महाकुंभ विश्वकप की शुरुआत हो रही है. लोगों को न केवल भारत, बल्कि अन्य टीमों का प्रदर्शन भी रोमांचित करता है. आलम यह है कि इस बार रांची के क्रिकेट प्रेमियों को या तो निराश रहना होगा या उन्हें अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी होगी. ऐसा केबल कंपनियों की मनमानी के कारण हो रहा है. बिना जिला प्रशासन की अनुमति के केबल कंपनियों ने चैनल बंद कर पैकेज शुरू कर दिया है.
पहले जहां ग्राहक 150 रुपये तक में सारे चैनल देख पा रहे थे, अब इतने चैनल के लिए उन्हें 300 रुपये हर माह चुकाने पड़ेंगे. जिला प्रशासन भी इस पर ध्यान नहीं दे रहा है. केवल कार्रवाई की बात की जा रही है, लेकिन अब तक केबल कंपनियों के साथ मीटिंग भी नहीं की गयी है. प्रशासन द्वारा बुलायी जा रही बैठक में केबल कंपनियों के प्रतिनिधि आते भी नहीं हैं. फिर भी प्रशासन ढिलाई बरते हुए है. ट्राई ने इससे संबंधित सारे अधिकार स्थानीय प्रशासन को दिया है. फिर भी बाहर की केबल कंपनियां झारखंड में अपनी मनमानी कर रही है. रांची में केबल सेवा देनेवाली तीनों कंपनी मंथन, जीटीपीएल व डेन झारखंड से बाहर की हैं. इनकी मनमानी से ग्राहकों के साथ ही स्थानीय केबल ऑपरेटर भी परेशान हैं.
ज्यादातर शहरों में लागू नहीं है पैकेज सिस्टम
केबल चैनलों के डिजिटलाइजेशन के दौरान दूसरे फेज में रांची समेत देश के 38 शहरों में यह प्रक्रिया शुरू हुई थी. इनमें से ज्यादातर शहरों में अभी पैकेज सिस्टम लागू नहीं हुआ है. कहीं शुरू किया भी गया है, तो जिला प्रशासन की अनुमति लेकर किया गया है. झारखंड में जमशेदपुर व धनबाद में भी इसी दौरान डिजिटलाइजेशन किया गया था, वहां भी लोगों को पैकेज के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है.
प्रशासन पर असर नहीं
बाहर से आयी केबल कंपनियों की मनमानी से राजधानी के उपभोक्ता परेशान हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन को इससे कोई मतलब नहीं है. रांची के एसडीओ अमित कुमार ने पैकेज लागू नहीं करने और चैनल बंद नहीं करने की बात कही थी, लेकिन दोनों ही चीजें केबल कंपनियों ने नहीं मानी. उनके आदेश के बाद भी बिना सूचना केबल चैनल न केवल बंद किये जा रहे हैं, लोगों को पैकेज के लिए भी मजबूर किया जा रहा है. एसडीओ ने कार्रवाई की बात कही थी, लेकिन अभी तक आम उपभोक्ता कार्रवाई के इंतजार में हैं. प्रशासन के रवैये से खेल प्रेमी खास कर निराश हैं.
नहीं दिखाये जा रहे हैं फ्री चैनल
सरकार के नियमों के मुताबिक तय फ्री चैनल भी लोगों को नहीं दिखाये जा रहे हैं. दूरदर्शन के चैनलों का प्रसारण भी बंद कर दिया गया है. इसमें डीडी वन, लोकसभा टीवी, राज्यसभा टीवी आदि शामिल हैं.
पैकेज लागू, सुविधा नदारद
केबल ऑपरेटरों द्वारा एनालॉग से डिजिटल कनेक्शन करने के समय बताया गया था कि ग्राहकों को कई फायदे होंगे. इसमें डीटीएच कनेक्शन की ही तरह पैकेज सिस्टम होगा. ग्राहक जो चैनल देखना चाहेंगे, उतने के लिए ही पैसे चुकाने होंगे. एचडी चैनल भी शुरू किये जायेंगे. शिकायत के लिए टॉलफ्री नंबर होगा. कनेक्शन खराब होने पर 12 घंटे में इसे ठीक कर दिया जायेगा, लेकिन इनमें से कोई भी चीज अभी लागू नहीं की गयी है. दर्शकों को दो-ढाई सौ चैनल परोसे जा रहे हैं, लेकिन इनमें से 80 प्रतिशत चैनल उनके द्वारा नहीं देखे जाते हैं. इसी तरह एचडी चैनल तो दूर अभी तक स्टीरियो चैनल भी नहीं है. एफएम चैनल भी नहीं मिल रहे हैं लोगों को.
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