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अपेंडिक्स एम को बना दिया वसूली का जरिया

रांची: रांची नगर निगम में अपेंडिक्स (एम) के तहत जमीन का नेचर बदलने के एवज में खुल कर लोगों से वसूली हुई. यह राशि उन लोगों से वसूली गयी जिन्होंने कृषि योग्य भूमि के रूप में चिह्न्ति जमीन पर निर्माण करने के लिए अपेंडिक्स एम के तहत लैंड यूज बदलने का आवेदन जमा किया था. […]

रांची: रांची नगर निगम में अपेंडिक्स (एम) के तहत जमीन का नेचर बदलने के एवज में खुल कर लोगों से वसूली हुई. यह राशि उन लोगों से वसूली गयी जिन्होंने कृषि योग्य भूमि के रूप में चिह्न्ति जमीन पर निर्माण करने के लिए अपेंडिक्स एम के तहत लैंड यूज बदलने का आवेदन जमा किया था. आम लोगों के इन आवेदनों को निगम सीइओ के कोर्ट में ले जाया जाता, जहां सुनवाई के नाम पर आवेदकों से खुल कर रकम मांगी जाती. जो आवेदक निगम अधिकारियों की इस मुराद को पूरी करते उनके जमीन का नेचर बदलने का परमिशन तुरंत दे दिया जाता और जिन्होंने साहबों की फरमाइश नहीं पूरी की, उनके आवेदनों पर तारीख पर तारीख पड़ती चली गयी.
प्रति फ्लोर के हिसाब से होती थी वसूली
जमीन का नेचर बदलने के लिए दिये गये आवेदनों पर वसूली गयी अवैध राशि का ग्राफ दिनों दिन बढ़ता ही गया. एक मंजिल का मकान बनाने के लिए भी यहां एक लाख तक के चढ़ावा मांगें गये. वहीं दो फ्लोर के लिए दो लाख तक की राशि की वसूली की गयी. बड़े प्रोजेक्ट के लिए तो ऐसे आवेदनों पर पांच से 10 लाख रुपये तक वसूले गये. जिन्होंने निगम अधिकारियों की इन मांगों को पूरा नहीं किया, उनके आवेदनों को निरस्त कर दिया गया.
कितने मामले निबटाये अपेंडिक्स एम के तहत
रांची नगर निगम में पिछले एक साल में जमीन का नेचर बदलने के लिए (अपेंडिक्स एम) के तहत 70 आवेदन आये. निगम में आये इन आवेदनों में से 50 लोगों को कृषि भूमि पर आवास बनाने की मंजूरी भी मिल गयी. वहीं वर्तमान में निगम में अपेंडिक्स एम के दो दर्जन से अधिक आवेदन लंबित हैं.
तनवीर तय करता था, किसे मिलेगा परमिशन
अपेंडिक्स एम के तहत निगम में आये आवेदनों में से किस आवेदन को निगम से परमिशन मिलेगा, यह तय निगम सीइओ का खासमखास तनवीर करता था. निगम सीइओ के कार्यालय कक्ष में दिन भर बैठे रहने वाले तनवीर सभी फाइलों का निरीक्षण करता था. कृषि भूमि पर बनने वाले मकान की साइज के हिसाब से तनवीर ही आवेदक को यह बताता कि परमिशन के लिए कितने पैसे देने होंगे.
क्या है अपेंडिक्स (एम)
शहर की दिनों दिन बढ़ती आबादी व शहर के विस्तार को देखते हुए राज्य सरकार ने बिल्डिंग बायलॉज में यह प्रावधान किया है कि कृषि योग्य भूमि पर निर्माण की अनुमति प्रदान की जा सकती है. अपेंडिक्स एम का इस्तेमाल कर जमीन की प्रकृति बदलने की शक्ति निगम के सीइओ के पास ही है.

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