रांची विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं लक्ष्मीकांत सहाय विशेष संवाददातारांची. रांची विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर लक्ष्मीकांत सहाय को 14 साल बाद पेंशन दिया. अदालत के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें एक माह का पेंशन दिया है. श्री सहाय विश्वविद्यालय के रवैये से परेशान होकर अदालत में गये थे. वह तीन अगस्त 1965 को रांची विश्वविद्यालय में भूगोल के व्याख्याता के रूप में योगदान दिये थे. उन्होंने राम लखन सिंह कॉलेज, गुमला कॉलेज व गिरिडीह कॉलेज में प्राचार्य के रूप में भी काम किया. उन्होंने रांची कॉलेज में शिक्षण कार्य किया. 31 जनवरी 2001 में वह प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए. उसके बाद से ही वह पेंशन भुगतान के लिए विश्वविद्यालय से अनुरोध करते रहे, पर हर बार उनसे किसी ना किसी दस्तावेज की कमी का बहाना बनाया जाता था. श्री सहाय ने बताया कि पेंशन के लिए पैसों की मांग भी की जाती थी. पैसा नहीं देने की वजह से उन्हें 14 साल तक परेशान किया जाता रहा. तंग आ कर उन्होंने हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की. अदालत ने उनकी याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए विश्वविद्यालय को पहले पेंशन शुरू करने का निर्देश दिया. अदालत के इस निर्देश के बाद रांची विश्वविद्यालय ने 29,370 रुपये का भुगतान किया है. उन्हें 14 साल बाद एक माह का पेंशन मिला है. वह भी चौथे वेतन पुनरीक्षण में निर्धारित वेतनमान के तहत. श्री सहाय सेवानिवृत्ति के बाद से अपने गृह जिला गया में रह रहे हैं
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रांची विश्वविद्यालय ने 14 साल बाद पेंशन दिया
रांची विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर हैं लक्ष्मीकांत सहाय विशेष संवाददातारांची. रांची विश्वविद्यालय ने प्रोफेसर लक्ष्मीकांत सहाय को 14 साल बाद पेंशन दिया. अदालत के हस्तक्षेप के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें एक माह का पेंशन दिया है. श्री सहाय विश्वविद्यालय के रवैये से परेशान होकर अदालत में गये थे. वह तीन अगस्त 1965 को रांची विश्वविद्यालय […]
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