केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, आयोग के सुझाव अक्षरस: स्वीकार्य नयी दिल्ली. केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रवासी भारतीयों को डाक मतपत्र के जरिये मतदान का अधिकार उपलब्ध कराने का निर्वाचन आयोग का सुझाव अक्षरश: स्वीकार कर लिया गया है. चीफ जस्टिस एचएल दत्तू और जस्टिस एके सीकरी की खंडपीठ ने इस कथन का संज्ञान लेते हुए केंद्र सरकार से कहा कि इन सुझावों पर अमल के बारे मेंं अगले कदम से न्यायालय को अवगत कराया जाये. कोर्ट ने प्रवासी भारतीयों को मतदान के अधिकार से संबंधित जनहित याचिकाओं की सुनवाई आठ सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए केंद्र सरकार से कहा कि इस मामले में यथाशीघ्र आवश्यक कदम उठाये जायें. न्यायाधीशों ने कहा कि चूंकि निर्वाचन आयोग की राय और सिफारिशें स्वीकार कर ली गयी हैं, इसलिए अब इस पर आगे कार्यवाही होने दी जाये. केंद्र सरकार का दृष्टिकोण अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पीएल नरसिम्हा ने रखा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कुछ संशोधन करने हैं और विधि मंत्रालय इस पर काम कर रहा है. शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 नवंबर को केंद्र सरकार से प्रवासी भारतीयों को प्राक्सी मत और ई-मतपत्र से चुनाव में वोट देने के निर्वाचन आयोग के प्रस्ताव पर अपना रुख स्पष्ट करने के लिए कहा था. न्यायालय ने प्रवासी भारतीयों को मतदान के लिए वैकल्पिक उपायों की संभावनाएं तलाशने के लिए निर्वाचन उपायुक्त विनोद जुत्शी की अध्यक्षता में गठित 12 सदस्यीय समिति के प्रस्तावों पर चार सप्ताह में स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश सरकार को दिया था.
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