गव्य विकास विभाग की कार्यशालावरीय संवाददातारांची : राज्य के दुग्ध उत्पादकों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के फायदे एवं थनैला रोग से पशुओं को बचाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. गव्य विकास विभाग के कार्यशाला का उदघाटन निदेशक डॉ आलोक कुमार पांडेय ने किया. उन्होंने कहा कि थनैला की रोकथाम काफी महवपूर्ण है क्योंकि इस बीमारी के कारण दुधारू पशुओं की दूध उत्पादन क्षमता में एकाएक कमी आ जाती है. इससे किसानों को काफी आर्थिक क्षति होती है. धुर्वा के गव्य विकास निदेशालय की ओर से आयोजित कार्यशाला में रांची, रामगढ़, लोहरदगा, कोडरमा, हजारीबाग, देवघर, बोकारो, खूंटी, चतरा, दुमका आदि जिलों के लगभग 200 दूध उत्पादकों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर सहायक निदेशक (गव्य) मुकुल प्रसाद सिंह, मुख्य अनुदेशक रवींद्र कुमार सिन्हा एवं मिल्क फेडरेशन के प्रबंध निदेशक बीएस खन्ना आदि ने हिस्सा लिया.
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थनैला का रोकथाम महत्वपूर्ण : डॉ पांडेय (फोटो : ट्रैक में)
गव्य विकास विभाग की कार्यशालावरीय संवाददातारांची : राज्य के दुग्ध उत्पादकों को स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के फायदे एवं थनैला रोग से पशुओं को बचाने के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. गव्य विकास विभाग के कार्यशाला का उदघाटन निदेशक डॉ आलोक कुमार पांडेय ने किया. उन्होंने कहा कि थनैला की रोकथाम काफी महवपूर्ण है क्योंकि […]
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