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आंखों के तिरछापन को नजरअंदाज नहीं करें

आंखों में तिरछापन की समस्या कई कारणों से होती है. नवजात शिशु व बढ़ते बच्चों में किसी गंभीर बीमारी जैसे डायरिया आदि के कारण अत्यधिक कमजोरी हो जाती है और आंखों में तिरछापन आ जाता है. कभी-कभी बच्चों में अधिक थकने के कारण भी आंख में तिरछापन दिखता है, लेकिन जब वो सो कर उठते […]

आंखों में तिरछापन की समस्या कई कारणों से होती है. नवजात शिशु व बढ़ते बच्चों में किसी गंभीर बीमारी जैसे डायरिया आदि के कारण अत्यधिक कमजोरी हो जाती है और आंखों में तिरछापन आ जाता है. कभी-कभी बच्चों में अधिक थकने के कारण भी आंख में तिरछापन दिखता है, लेकिन जब वो सो कर उठते हैं तो आंख अपनी सही अवस्था में दिखती है. मधुमेह और ब्लड प्रेशर के कारण भी आंखों पर तिरछेपन का असर पड़ता है. इसमें आंखों से एक ही वस्तु दो दिखाई पड़ती हैं. आंखों पर चोट लगने से भी तिरछापन आ जाता है. आंखों की रोशनी कम होने लगती है. बच्चों में तिरछेपन की समस्या होने पर चश्मा से इसका निवारण किया जाता है. यदि चश्मा से तिरछेपन की समस्या दूर नहीं होती है तो इसका जल्द इलाज कराया जाना जरूरी है. कई बार बच्चों के बड़े होने के बाद आंखों का इलाज कराने की सोच कर बच्चों में आंखों की समस्या को प्राय: नजरअंदाज कर दिया जाता है जो काफी नुकसानदायक साबित होता है. वयस्क में आंखों के तिरछापन को दवाई से ठीक किया जाता है. इसे ऑपरेशन कर भी सही किया जाता है.

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