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खुले में मेडिकल कचरा फेंका जाना खतरनाक
रांची: हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची, धनबाद, जमशेदपुर व बोकारो में मेडिकल कचरा के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की भूमिका पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने मामले की […]
रांची: हाइकोर्ट में मंगलवार को रांची, धनबाद, जमशेदपुर व बोकारो में मेडिकल कचरा के उचित निष्पादन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार व झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की भूमिका पर नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि जो अस्पताल व मेडिकल संस्थान 15 दिनों के अंदर आदेश का अनुपालन नहीं करते हैं, उन्हें बंद कर दिया जाये.
राज्य के शहरी क्षेत्रों में संचालित सभी अस्पतालों, क्लिनिकों, ब्लड बैंकों, पैथोलॉजी लेबोरेटरी आदि में उत्सजिर्त होनेवाले मेडिकल कचरा के निष्पादन के लिए बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल एंड हैंडलिंग रूल्स 1998 के तहत त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया. रूल्स के तहत अस्पतालों, क्लिनिकों, पैथोलॉजी लेबोरेटरी आदि के परिसरों में काला, लाल, ब्लू व पीले रंग का कंटेनर रखा जाये. कंटेनरों में ही मेडिकल कचरा रखा जाये तथा उसका निष्पादन किया जाये. खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा कि मेडिकल कचरे को जहां-तहां नहीं फेंका जाये. खुले में मेडिकल कचरा फेंका जाना काफी खतरनाक है.
खंडपीठ ने नगर विकास विभाग के सचिव को प्रतिवादी बनाने का निर्देश दिया. वहीं आइएमए व प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को रांची नगर निगम द्वारा उपलब्ध कराये गये स्थल का निरीक्षण करने का निर्देश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड हुमैन राइट्स कांफ्रेंस की ओर से जनहित याचिका दायर कर मेडिकल कचरे के निष्पादन के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.
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