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पीआरपी मामले में कोल इंडिया को बड़ी राहत

झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका खारिजरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को कोल इंडिया द्वारा परफॉरमेंस आधारित वेतन भुगतान (पीआरपी) के नाम पर एक हजार करोड़ से अधिक की गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस प्रमाथ पटनायक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद याचिका खारिज […]

झारखंड हाइकोर्ट में जनहित याचिका खारिजरांची : झारखंड हाइकोर्ट में मंगलवार को कोल इंडिया द्वारा परफॉरमेंस आधारित वेतन भुगतान (पीआरपी) के नाम पर एक हजार करोड़ से अधिक की गड़बड़ी को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस प्रमाथ पटनायक की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के बाद याचिका खारिज कर दी. खंडपीठ ने कहा कि सर्विस से संबंधित मामला है, इसे जनहित याचिका के रूप में सुनवाई नहीं की जा सकती है. खंडपीठ ने कहा कि सरकार द्वारा नीतिगत निर्णय लेने की गति काफी धीमी है. कोर्ट पॉलिसी तय नहीं कर सकता है. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से वरीय अधिवक्ता एसएल वर्णवाल ने खंडपीठ को बताया कि वर्ष 2008 में कोल इंडिया में वेतन का पुनरीक्षण हो गया था. वेतन पुनरीक्षण होने के बाद पीआरपी भुगतान नहीं किया जा सकता था. इसके बावजूद कोल इंडिया ने बिना केंद्र सरकार की अनुमति लिये ही वर्ष 2011-2012 में पीआरपी के नाम पर आयकर काट कर अरबों रुपये का भुगतान कर दिया. मामला कोर्ट में आने के बाद पीआरपी भुगतान को रिकरेबुल एडवांस बताया दिया गया. एडवांस राशि पर आयकर की कटौती नहीं की जाती है. यह सरकारी राशि के दुरुपयोग का मामला है. अधिकारियों ने मिल कर बंदरबांट की है. इस पूरे मामले की स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराये जाने की आवश्यकता है. कोयला अधिकारियों ने अपना परफॉरमेंस बढ़ाने के लिए मोटरसाइकिल, स्कूटर, कार जैसे छोटे वाहन से कोयले की ढ़ुलाई दिखायी है. कोल इंडिया की ओर से बताया गया कि अधिकारियों को पीआरपी के तहत जो राशि दी गयी है, वह लमसम रिकरेबुल एडवांस है. रिटायरमेंट के समय वसूल किया जा रहा है.

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