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शिक्षक संघों को आस नयी सरकार में होगा समस्याओं का समाधान, गुणवत्ता शिक्षा में आंदोलन बाधक

रांची: मानव संसाधन विकास विभाग ने वर्ष 2015 को गुणवत्ता युक्त शिक्षा वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. राज्य में गुणवत्ता युक्त शिक्षा मुहैया कराने के मार्ग में शिक्षकों की समस्या व आंदोलन एक बड़ी अड़चन है. राज्य में प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक के शिक्षक वर्ष भर आंदोलनरत रहते हैं. […]

रांची: मानव संसाधन विकास विभाग ने वर्ष 2015 को गुणवत्ता युक्त शिक्षा वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. राज्य में गुणवत्ता युक्त शिक्षा मुहैया कराने के मार्ग में शिक्षकों की समस्या व आंदोलन एक बड़ी अड़चन है.

राज्य में प्राथमिक विद्यालय से लेकर कॉलेज तक के शिक्षक वर्ष भर आंदोलनरत रहते हैं. अपनी विभिन्न मांगों को लेकर शिक्षक सरकार के खिलाफ हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में मुकदमा लड़ रहे हैं.

कोर्ट के आदेश के बावजूद शिक्षकों को अपनी मांग के लिए मंत्री व अधिकारियों के कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं होने से पठन-पाठन पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है. राज्य के राजकीयकृत उच्च विद्यालय के शिक्षकों का प्रवरण वेतनमान वर्ष 1993 से लंबित है. प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों की प्रोन्नति का मामला भी लंबित है. पारा शिक्षक, इंटर कॉलेजों के शिक्षक, स्थापना अनुमति उच्च विद्यालय के शिक्षक अपनी मांगों को लेकर वर्ष भर आंदोल्रन करते रहते हैं.

प्राथमिक शिक्षकों की समस्या

शिक्षकों को नहीं मिली प्रोन्नति.

शिक्षकों के लिए कल्याण कोष का गठन नहीं.

राज्य के 93 फीसदी मध्य विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं.

समय पर नहीं मिलता सेवानिवृत्ति का लाभ.

गैर शैक्षणिक कार्य से शिक्षकों को नहीं मिली मुक्ति.

छात्र के अनुपात में शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन में परेशानी

अल्पसंख्यक प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं.

पारा शिक्षकों की सेवा स्थायी का नहीं हुआ निर्णय.

उवि शिक्षकों की समस्या

1993 से प्रवरण वेतनमान लंबित.

प्रधानाध्यापक पद पर प्रोन्नति नहीं मिली.

एमएसीपी का लाभ नहीं मिल रहा.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप वेतन निर्धारण नहीं हुआ.

1981-82 से उवि के शिक्षकों की सेवाशर्त नियमावली नहीं बनी.

प्रोजेक्ट उवि में वर्ष 1982 से सेवा संपुष्टि का मामला लंबित.

1987 के प्रोजेक्ट उवि के शिक्षकों को 30 वर्ष से नहीं मिला वेतन.

अल्पसंख्यक माध्यमिक विद्यालय के शिक्षकों को समय पर नहीं मिलता वेतन.

572 स्थापना अनुमति विद्यालय को अब तक नहीं मिली प्रस्वीकृति.

प्लस टू के शिक्षकों की समस्या

राज्य के किसी भी प्लस टू उच्च विद्यालय में प्राचार्य नहीं.

शिक्षकों को प्रवरण वेतनमान का नहीं मिला लाभ.

प्लस टू शिक्षकों को प्राचार्य पद पर नहीं मिली प्रोन्नति.

नव नियुक्ति शिक्षकों को समय पर नहीं मिलता वेतन.

गैर योजना मद में पद को स्थानांतरित नहीं किया गया.

क्या कहते हैं शिक्षक संघ के प्रतिनिधि

पिछली सरकारों ने केवल आश्वासन दिया. शिक्षकों की समस्याओं का समाधान नहीं हुआ. मुख्यमंत्री से लेकर शिक्षा मंत्री सभी के आश्वासन के बाद भी शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिली. राज्य में शिक्षक कल्याण कोष का गठन नहीं हुआ. शिक्षा सचिव के आदेश के बाद भी जिलों में पेंशन कोषांग नहीं बना. जिससे शिक्षकों को सेवा लाभ के लिए शिक्षा कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता है. नयी सरकार से शिक्षकों को काफी उम्मीद है. सरकार शिक्षकों की समस्याओं का समाधान जरूर करेगी.

राममूर्ति ठाकुर, महासचिव, अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ

शिक्षक सेवानिवृत्त हो गये, पर सेवा शर्त नियमावली नहीं बनी. 1982 से कार्यरत शिक्षकों की सेवा संपुष्टि नहीं हो सकी. शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर न तो आग्रह का असर होता है न ही आंदोलन का. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय स्तर पर अवमानना के लगभग 250 मामले लंबित हैं. नयी सरकार में शिक्षकों की समस्याओं के समाधान की उम्मीद है. गंगा प्रसाद यादव, प्रदेश संगठन मंत्री, झारखंड माध्यमिक शिक्षक संघ

शिक्षकों की समस्याओं के समाधान के लिए कार्रवाई शुरू की गयी है. प्राथमिक शिक्षकों की प्रोन्नति, शिक्षकों की सेवा शर्त नियमावली बनाने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है. शिक्षकों की समस्याओं का समाधान जल्द से जल्द किया जायेगा.

आराधना पटनायक, शिक्षा सचिव

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