रांची: कोयला मंत्री से बात करने से मान्यता प्राप्त पांचों श्रमिक संगठनों ने मना कर दिया. आपस में बात करने के बाद सभी यूनियनों ने तय किया गया कि कोयला मंत्री से बात करना ठीक नहीं होगा. तीन जनवरी को शाम 4.30 बजे से बैठक होनेवाली थी.
मजदूर यूनियनों ने तय किया है कि छह जनवरी से कोल इंडिया की हड़ताल हर हाल में होगी. इसमें एचएमएस, बीएमएस, इंटक, एटक और सीटू हिस्सा लेंगे. यूनियनों ने कोयला उद्योग में संघर्षरत छोटे दलों को भी हड़ताल में शामिल होने का आग्रह किया है. कोल इंडिया की सभी इकाइयों को मजदूर यूनियनों ने छह से 10 जनवरी तक ठप रखने का निर्णय लिया है. पांचों ट्रेड यूनियन कोल माइंस (स्पेशल प्रोविजन) ऑर्डिनेंस-14 का विरोध कर रहे हैं. इसके साथ-साथ कोल इंडिया में विनिवेश, कोल इंडिया के राष्ट्रीयकरण के साथ छेड़छाड़ का विरोध, निजी हाथों में सौंपने की तैयारी का भी विरोध कर रहे हैं.
इस संबंध में कोयला मजदूर यूनियन के अध्यक्ष अशोक यादव ने कहा कि यह कोल इंडिया के अस्तित्व की लड़ाई है. अब कोयला कर्मी एकजुट नहीं होंगे, तो आनेवाले समय में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. इससे कठिन परिस्थिति कभी कोयलाकर्मियों के लिए नहीं आयी थी. निजी कंपनियों को कोयला बेचने की अधिकार देकर कंपनी कोल इंडिया को कंगाल करना चाहती है. कोल इंडिया घाटे में गयी, तो पेंशन-वेतन सब बंद हो जायेगा.
यूनियनों का कन्वेंशन आज
कोयला उद्योग मजदूरों के हितों के लिए संघर्षरत गैर मान्यता प्राप्त यूनियनों का कन्वेंशन रविवार को माइंस रेस्क्यू स्टेशन, रामगढ़ में होगा. इसमें द झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन, ऑल झारखंड मजदूर संघ, झारखंड कोलियरी श्रमिक यूनियन, झारखंड कोलियरी मजदूर यूनियन सहित कईयूनियनें हिस्सा लेंगी.
कोयला मंत्री की बैठक में नहीं जाकर मजदूर यूनियनों ने एकता का परिचय दिया है. मजदूर यूनियनों के बैठक में नहीं जाने को मंत्री की बातों को अवहेलना के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए. इसे मजदूर यूनियनों की ताकत के रूप में लेना चाहिए. मजदूर यूनियनों के इसी ताकत से कोल इंडिया मजबूत है.
जीवन राय, पूर्व सांसद सह महासचिव, एआइसीडब्ल्यूएफ