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मोरचे पर सैनिकों को मिलेगी राहत
मेकन : बख्तरबंद गाड़ियों में पानी गर्म और ठंडा करने का उपकरण बनाया उपकरण लेह, लद्दाख, कारगिल और सियाचिन जैसे क्षेत्रों के लिए उपयोगी राजेश झा रांची : मेकन ने युद्ध के दौरान सैनिकों को बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों में पानी गर्म या ठंडा करने का उपकरण तैयार किया है. युद्ध के मैदान में सैनिकों […]
मेकन : बख्तरबंद गाड़ियों में पानी गर्म और ठंडा करने का उपकरण बनाया
उपकरण लेह, लद्दाख, कारगिल और सियाचिन जैसे क्षेत्रों के लिए उपयोगी
राजेश झा
रांची : मेकन ने युद्ध के दौरान सैनिकों को बख्तरबंद गाड़ियों और टैंकों में पानी गर्म या ठंडा करने का उपकरण तैयार किया है. युद्ध के मैदान में सैनिकों को जरूरत के हिसाब से गर्म या ठंडा पानी मिलने में होनेवाली परेशानियों के मद्देनजर मेकन ने इसे विकसित किया है. पहले बर्फ से पानी बनाने के बाद, पानी महज तीन से चार घंटा तक ही नॉर्मल रहता था. अब यह उपकरण लेह, लद्दाख, कारगिल और सियाचिन जैसे क्षेत्र के लिए सर्वाधिक उपयोगी साबित होगा.
मेकन के संयुक्त महाप्रबंधक (आरएंडडी) डॉ सुचितांगसु चटर्जी तथा डिजाइन इंजीनियर सुमित कुमार दुबे द्वारा विकसित यह उपकरण पेलटियर इफेक्ट पर आधारित है. पेलटियर इफेक्ट मूल रूप से दो अलग-अलग इलेक्ट्रोड के बीच पैदा किये जानेवाले तापमान का अंतर है. इस फॉमरूले के तहत एक इलेक्ट्रोड के दूसरे इलेक्ट्रोड के बीच विद्युत प्रवाहित करने की दिशा बदलने से उसका प्रभाव भी बदल जाता है. अर्थात जिस दिशा में वह गरमी पैदा करता है, उसकी उलटी दिशा में वह ठंडक पैदा करता है. इसी फॉर्मूले का उपयोग कर बनाये गये उपकरण में पानी की टंकी को टैंक या बख्तरबंद गाड़ियों के ऊपरी हिस्से में लगाया जाता है. 35 लीटर का यह टैंक दो हिस्सों में बंटा होता है. इसका बड़ा हिस्सा 25 लीटर और छोटा हिस्सा 10 लीटर का होता है.
पानी को ठंडा करने के लिए पानी टंकी के छोटे हिस्से का तापमान 55 डिग्री से घटा कर 25 डिग्री किया जाता है. गरम पानी के लिए टंकी का तापमान 75 डिग्री तक बढ़ाया जाता है. जब पानी टंकी का छोटा हिस्सा खाली हो जाता है, तो पानी गरम या ठंडा करने की प्रक्रिया खुद-ब-खुद बंद हो जाती है. पानी ठंडा करने के लिए जैसी ही छोटी टंकी का तापमान 25 डिग्री पहुंचता है, उपकरण में ऊर्जा की खपत कम हो जाती है. ऐसी स्थिति में उपकरण में सामान्य के मुकाबले सिर्फ 25 प्रतिशत ऊर्जा की जरूरत होती है.
टंकी का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस पहुंचते ही उपकरण स्वत: शुरू हो जाता है और तापमान 25 डिग्री सेल्सियस पहुंचने तक काम करता रहता है. इसी तरह की प्रक्रिया पानी गरम करने के क्रम में होती है. गरम पानी हासिल करने के लिए छोटी टंकी का तापमान 75 डिग्री तक बढ़ाया जाता है. निर्धारित तापमान पर पहुंचने के बाद पानी गरम करनेवाली प्रणाली स्वत: सुस्त हो जाती है और ऊर्जा की खपत 25 प्रतिशत हो जाती है.
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