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कर्मियों में उत्साह भरने की है जरूरत

एचइसी सीएमडी का पदभार संभालने के बाद बोले अभिजीत घोष एचइसी कर्मियों में क्षमता है, दिशा दिखाने की जरूरत रांची : अभिजीत घोष एचइसी सीएमडी बनाये गये हैं. सीएमडी पद पर अभिजीत घोष ने गुरुवार को योगदान दिया. नये सीएमडी के सामने कई चुनौतियां हैं. देश-दुनिया में पहचान रखनेवाला एचइसी पिछले कई वर्षो बदहाली से […]

एचइसी सीएमडी का पदभार संभालने के बाद बोले अभिजीत घोष
एचइसी कर्मियों में क्षमता है, दिशा दिखाने की जरूरत
रांची : अभिजीत घोष एचइसी सीएमडी बनाये गये हैं. सीएमडी पद पर अभिजीत घोष ने गुरुवार को योगदान दिया. नये सीएमडी के सामने कई चुनौतियां हैं. देश-दुनिया में पहचान रखनेवाला एचइसी पिछले कई वर्षो बदहाली से जूझ रहा है. वैश्विक बाजार में एचइसी को अपनी पुरानी साख जमानी है. बदलते आर्थिक परिदृश्य में एचइसी में कामकाज से लेकर तकनीक तक में बदलाव की जरूरत है. अभिजीत घोष रांची से जुड़े हैं. उन्होंने रांची में रह कर पढ़ाई की है. एचइसी से उनका पुराना लगाव रहा है. प्रभात खबर के संवाददाता राजेश झा ने उनसे कंपनी के हालात से लेकर चुनौतियों पर बात की.
कौन हैं अभिजीत घोष
श्री घोष के पिता स्व अजित कुमार घोष एवं माता स्व पुष्पा घोष हैं. पिता संत जेवियर्स कॉलेज, रांची के रसायन शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष थे एवं माता गृहिणी थीं. श्री घोष ने स्कूली शिक्षा संत जॉन्स स्कूल, रांची में 1974 में पूरी की. इसके बाद संत जेवियर्स कॉलेज, रांची में शिक्षा प्राप्त की. आइएसएम धनबाद से बीटेक की डिग्री प्राप्त की. खेल के क्षेत्र में उन्होंने आइएसएम क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व किया. 1980 में श्री घोष ने मलंज खंड कॉपर प्रोजेक्ट में योगदान दिया. वर्ष 2010 में हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड में निदेशक खनन के रूप में योगदान दिया. उन्हें वर्ष 2011 में मेटल माइनिंग क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए माइनिंग जियोलॉजिकल एंड मेटैलजिर्कल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने गोल्ड मेडल प्रदान किया. 2012 में उन्हें इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स ने खनन अभियंता के पुरस्कार से सम्मानित किया.
आपकी प्राथमिकता क्या है?
एचइसी मातृ उद्योग है. यहां के लोगों के पास सकारात्मक सोच है. कर्मियों ने कई अवसरों पर अपनी कार्यक्षमता से इसे साबित भी किया है. मसलन चंद्रयान, सेना के लिए उपकरण, स्टील, माइनिंग सहित अन्य क्षेत्र हैं. कर्मियों में केवल उत्साह भरने की जरूरत है. उन्हें पूरा भरोसा है कि एचइसी स्वावलंबी होगा.
एचइसी घाटे में चल रहा है, कैसे उबारेंगे?
चालू वित्तीय वर्ष में घाटे में जाने के कई कारण हो सकते हैं. सभी कारणों का अध्ययन करेंगे. कहां किस चीज की जरूरत है, उसे प्राथमिकता के आधार पर पूरा करने का प्रयास करेंगे.
क्या कार्यशील पूंजी की कमी है?
कार्यशील पूंजी के लिए सबसे पहले राज्य सरकार से जमीन के एवज में बकाया राशि की मांग करेंगे. राशि मिलने से एचइसी को बहुत सहूलियत होगी. इसके अलावा विभिन्न कंपनियों पर बकाया राशि की वसूली के लिए योजना बनायेंगे.
कर्मियों की लंबित मांग कैसे पूरी करेंगे?
एचइसी के कर्मी और यूनियन एचइसी परिवार के सदस्य हैं. कर्मियों की समस्या को देखेंगे और समङोंगे. वर्तमान में एचइसी की जो स्थिति है, उसमें कर्मियों का एकमात्र लक्ष्य होना चाहिए अधिक से अधिक उत्पादन करना. एचइसी का उत्पादन बढ़ेगा और लाभ होगा, तो कर्मियों की मांग स्वत: पूरी होगी.
एचइसी की पुरानी मशीन और तकनीक कितनी बड़ी समस्या है?
पुरानी मशीन से उत्पादन कम होता है और ऊर्जा की खपत अधिक होती है. इसके लिए एचइसी ने भारी उद्योग मंत्रलय को प्रस्ताव भेजा है. जो मशीन कम राशि में दुरुस्त हो सकती है, उसे प्राथमिकता के आधार पर ठीक किया जायेगा. आधुनिकीकरण के लिए कई विदेशी कंपनियों ने प्रस्ताव दिया है, साथ ही विदेशी बैंकों ने ऋण उपलब्ध कराने की बात कही है. यह एचइसी के लिए सकारात्मक है.
कंपनी को लाभ में लाने की क्या योजना है?
कार्यादेश को निर्धारित समय पर डिस्पैच करना उनकी पहली प्राथमिकता है. इससे कार्यादेश देनेवाली कंपनियों का विश्वास बना रहता है. एचइसी को स्वावलंबी बनाने के लिए सभी का सहयोग आवश्यक है.
प्रतिनिधिमंडल ने की मुलाकात
रांची. एचइसी सीएमडी अभिजीत घोष के पदभार ग्रहण करने के बाद विभिन्न यूनियनों का प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला. एचइसी प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह ने उन्हें 18 मांगों की सूची सौंपी. एचइसी समन्वय समिति में शामिल विभिन्न यूनियनों के प्रतिनिधि ने सीएमडी से मिल कर कामगारों के हित में कार्य करने की मांग की.

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