एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीनी राष्ट्र से संबंधित प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया है. प्रस्ताव के तहत इस्राइल के सैनिकों के लिए फिलीस्तीनी क्षेत्र से वर्ष 2017 तक हटने की समयसीमा तय की जानी थी. लंबे समय से अपेक्षित इस मसौदा प्रस्ताव को मंगलवार रात पेश किया गया. इसको आठ देशों में अर्जेंटीना, चाड, चिली, चीन, फ्रांस, जॉर्डन, लक्जमबर्ग और रूस का समर्थन मिला था. गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के पांच स्थायी सदस्यों में से किसी एक के भी वीटो नहीं करने की स्थिति में सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव पारित करने के लिए नौ सदस्य देशों के समर्थन की जरूरत होती है. सुरक्षा परिषद में पांच स्थायी सदस्य और 10 अस्थायी सदस्य होते हैं. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इस प्रस्ताव का विरोध किया, जबकि ब्रिटेन, नाइजीरिया, दक्षिण कोरिया, रवांडा और लिथुआनिया अनुपस्थित रहे.प्रस्ताव को नहीं मिला जरूरी बहुमत प्रस्ताव को सदस्य देशों में से जरूरी बहुमत नहीं मिल पाया, जिससे यह पारित नहीं हो सका. अमेरिका ने प्रस्ताव के मजमून का भी विरोध किया. इसे भी प्रस्ताव के पारित नहीं होने की एक वजह के तौर पर देखा जा सकता है. किसने क्या कहा अमेरिका बातचीत से समाधान तक पहुंचने में दोनों पक्षों की रचनात्मक रूप से मदद को तैयार है. यह प्रस्ताव उन रचनात्मक कदमों के लिए नहीं है. यह मसौदा समझौते नहीं, बल्कि और अधिक विभाजन की बुनियाद तैयार करनेवाला है.सामंथा पावर, स्थायी प्रतिनिधि, अमेरिका, यूएन मैंने प्रस्ताव की अधिकतर बातों का समर्थन किया, लेकिन बातचीत के अभाव के कारण निराशा हुई. इसलिए मैं मतदान से अनुपस्थित रहा. मार्क लयाल ग्रांट, प्रतिनिधि, ब्रिटेन
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सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीन राष्ट्र का प्रस्ताव नाकाम
एजेंसियां, संयुक्त राष्ट्र संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में फिलीस्तीनी राष्ट्र से संबंधित प्रस्ताव पारित नहीं हो पाया है. प्रस्ताव के तहत इस्राइल के सैनिकों के लिए फिलीस्तीनी क्षेत्र से वर्ष 2017 तक हटने की समयसीमा तय की जानी थी. लंबे समय से अपेक्षित इस मसौदा प्रस्ताव को मंगलवार रात पेश किया गया. इसको आठ देशों […]
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