रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि खाद्य आपूर्ति विभाग उन बकायेदार चावल मिल मालिकों के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है,जिन्होंने पहले याचिका व बाद में अपील याचिका दायर नहीं की है.
यह आदेश कुल 114 मिल मालिकों पर लागू होता है. सरकार से धान लेनेवाली मिलों की संख्या 130 है. इनमें से 16 ने बकाया चुकाने के लिए समय मांगते हुए हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी. उसकी सुनवाई के बाद जारी कोर्ट के आदेश के बाद कुल 11 मिल मालिकों ने फिर से अपील याचिका दायर की थी. अब कोर्ट ने अपील याचिका पर सुनवाई करते हुए 23 दिसंबर को जारी अपने अंतरिम आदेश में तीनों केटेगरी की मिलों के लिए अलग-अलग बातें कही हैं. अपील में गयी मिलों को कहा गया है कि वह 31 दिसंबर 2014 तक कुल बकाया रकम का 75 फीसदी सरकार को लौटा दें. वहीं शेष 25 फीसदी का भुगतान अंतिम आदेश के बाद करना होगा. पहले याचिकाकर्ता 16 मिलों को 31 दिसंबर तक सौ फीसदी रकम चुकाने को कहा गया था. उन पांच मिलों को जिन्होंने याचिका तो दायर की, पर अपील में नहीं गये, उन्हें सौ फीसदी रकम पहले के आदेश के तहत 31 दिसंबर तक ही चुकाने को कहा गया है. जिन मिलों ने न याचिका दायर की और न ही अपील में गये, उनके खिलाफ किसी भी कार्रवाई के लिए खाद्य आपूर्ति विभाग स्वतंत्र है.
क्या है मामला
राज्य सरकार ने किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद कर उपरोक्त मिलों में कुटाई के लिए दिया था. इन मिलों ने तय समय पर सरकार को न तो चावल दिया और न ही धान या पैसे लौटाये. इन मिलों पर सरकार का गत दो वर्षो से लगभग 165 करोड़ रु बकाया है.
कोर्ट ने स्पष्ट रूप से विभाग को कार्रवाई की आजादी दी है. हमने मुख्य बकायेदार 71 मिलों को नोटिस दिया है कि वे 31 दिसंबर तक पूरी राशि चुका दें. ऐसा नहीं हुआ, तो हमने सख्त कार्रवाई का मन बना लिया है.
डॉ प्रदीप कुमार
सचिव खाद्य आपूर्ति विभाग