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कोयले की बिजली साबित हो सकती है जानलेवा

बिजनेस डेस्क, रांची वर्ष 2030 में भारत में हर साल कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों से होनेवाले उत्सर्जन की वजह से 1.86 लाख से लेकर 2.29 लाख तक लोग असमय मौत के शिकार हो सकते हैं. इसके अलावा, इस उत्सर्जन की वजह से दमा के मरीजों की संख्या बढ़ कर 4.27 करोड़ तक हो जायेगी. […]

बिजनेस डेस्क, रांची वर्ष 2030 में भारत में हर साल कोयला आधारित ताप बिजली संयंत्रों से होनेवाले उत्सर्जन की वजह से 1.86 लाख से लेकर 2.29 लाख तक लोग असमय मौत के शिकार हो सकते हैं. इसके अलावा, इस उत्सर्जन की वजह से दमा के मरीजों की संख्या बढ़ कर 4.27 करोड़ तक हो जायेगी. कंजरवेशन एक्शन ट्रस्ट नामक गैर-लाभकारी संस्था और अरबन इमीशन नामक स्वतंत्र शोध समूह की ओर से तैयार रिपोर्ट ‘कोल किल्स’ नामक एक ताजा रिपोर्ट में इसका दावा किया गया है. रिपोर्ट में भारत में कोयले से बिजली उत्पादन में विस्तार की वजह से हो रहे वायु प्रदूषण और इसके स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभावों का विस्तृत अध्ययन पेश किया गया है. कोयले से बिजली उत्पादन तीन गुना तक बढ़ने का अनुमान है. अभी कोयले से 159 गीगावाट बिजली बन रही है, 2030 तक यह आंकड़ा 450 गीगावाट का हो जायेगा. जिन राज्यों में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी होगी, वे हैं आंध्र प्रदेश, ओडि़शा, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड. बिहार को छोड़ कर ये राज्य कोयले के बड़े भंडार हैं. इसी अवधि में देश में कोयले की खपत दो से तीन गुना बढ़ने का अनुमान है. अभी हर साल 66 करोड़ टन की खपत है जो बढ़ कर 180 करोड़ टन हो जायेगी. इसी हिसाब से, अभी कार्बन डाइ आक्साइड का सालान उत्सर्जन 159 करोड़ टन है, जो बढ़ कर 432 करोड़ टन हो जायेगा. साथ ही, कणीय तत्व, सल्फर डाइ आक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड्स का उत्सर्जन दुगना हो जायेगा, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है. उत्सर्जन पर नियंत्रण के लिए रिपोर्ट में कई सिफारिशें की गयी हैं.

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