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स्कूल से बच्चे के घर लौटने तक चैन नहीं (सभी तसवीरें ट्रैक पर हैं.)

अभिभावकों का दर्दएजाज हैदरी : बच्चों को स्कूल भेजकर इत्मिनाम रहते थे कि बच्चे वहां सुरक्षित हैं. पर अब ऐसी बात नहीं है. मेरा बेटा पूछ रहा है कि उन्हें क्यों मारा गया. ऐसे सिरफिरों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. घटना इंसानियत के नाम पर काला धब्बा है. अब बच्चे जब तक स्कूल से घर […]

अभिभावकों का दर्दएजाज हैदरी : बच्चों को स्कूल भेजकर इत्मिनाम रहते थे कि बच्चे वहां सुरक्षित हैं. पर अब ऐसी बात नहीं है. मेरा बेटा पूछ रहा है कि उन्हें क्यों मारा गया. ऐसे सिरफिरों को बख्शा नहीं जाना चाहिए. घटना इंसानियत के नाम पर काला धब्बा है. अब बच्चे जब तक स्कूल से घर नहीं लौट आते हैं, चैन नहीं मिल रहा है. फरीदा कलीम : बेटी के धर वापस लौटने तक मैं आज बैचेन रही. मां बच्चों की परवरिश में सैकड़ों तकलीफें सहती है., पर बच्चा का एक दर्द भी बरदाश्त नहीं करती. पेशावर की घटना से बेहद मर्माहत हूं. इस तरह के कृत्य करनेवालों को कड़ी-कड़ी से सजा मिलनी चाहिए, ताकि आगे से कोई इस तरह का दुस्साहस नहीं कर सके. फरहत जबीं : अब स्कूल भी सुरक्षित नहीं है. मेरे बेटे ने पूछा – हमारे स्कूल में तो ऐसा नहीं होगा न ? हमारा भविष्य बच्चों पर निर्भर है. बच्चे बुढ़ापा का सहारा है. उसे कोई छीन ले, तो दर्द का अंदाजा लगाना मुश्किल है. आतंकियों को आसान मौत नहीं मिलनी चाहिए. उन्हें इस हाल में जिदा रखे कि हर दिन उसके लिए मौत हो.संजीदा खातून : अब हमारे दिल में दहशत हो गया है. उन जालिमों का बच्चों से क्या दुश्मनी, बच्चे तो मासूम थे. घटना के दृश्य देखकर रोना आ रहा था. उनके माता-पिता को जो दुख पहुंचा, उसे कोई महसूस नहीं कर सकता. फिरोज आलम : आतंकवादियों को तड़पा-तड़पा कर मारना चाहिए. उसने रहम नहीं किया. उस पर भी रहम नहीं करना चाहिए. वह मुसलमान नहीं, शैतान का रूप है. इस घटना की जितनी निंदा की जाये, कम है.

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