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मान्यता पर संकट: रिजल्ट के इंतजार में हैं 2200 विद्यार्थी, बीएड के 4000 छात्रों का भविष्य अधर में

रांची: रांची विवि अंतर्गत 22 बीएड कॉलेजों के चार हजार से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य फंस गया है. सत्र 2013-14 के लगभग 2200 विद्यार्थी परीक्षा दे चुके हैं. अब रिजल्ट के इंतजार में हैं. हाइकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अंतिम फैसला आने तक रिजल्ट जारी नहीं होगा. दूसरी तरफ इसी सत्र को अब […]

रांची: रांची विवि अंतर्गत 22 बीएड कॉलेजों के चार हजार से अधिक विद्यार्थियों का भविष्य फंस गया है. सत्र 2013-14 के लगभग 2200 विद्यार्थी परीक्षा दे चुके हैं. अब रिजल्ट के इंतजार में हैं.

हाइकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि अंतिम फैसला आने तक रिजल्ट जारी नहीं होगा. दूसरी तरफ इसी सत्र को अब तक राज्य सरकार से भी मान्यता नहीं मिली है. सत्र 2014-15 के भी लगभग दो हजार विद्यार्थियों ने संबंधित बीएड कॉलेज में नामांकन तो ले लिया है, लेकिन अब तक राज्य सरकार से मान्यता नहीं मिली है. विवि ने दोनों सत्र की मान्यता के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा है. लेकिन राज्य सरकार ने तकनीकी कारण बताते हुए इस पर रोक लगा रखी है. बीएड कॉलेजों में विभिन्न विषयों में सीटें रिक्त रहने पर अन्य विषय के विद्यार्थियों का नियम विरुद्ध नामांकन ले लिया गया था.

शिकायत के बाद विवि ने टीम गठित कर इसकी जांच भी करायी. जांच में इसकी पुष्टि भी हुई. विवि द्वारा रजिस्ट्रेशन रोक दिये जाने पर कॉलेज प्रबंधन सहित विद्यार्थियों ने हंगामा शुरू कर दिया. बाद में छात्र हित का हवाला देते हुए विवि ने सीनेट की बैठक में सभी कॉलेजों को विवि स्तर पर संबद्धता की अनुशंसा कर राज्य सरकार के पास मान्यता के लिए प्रस्ताव भेज दिया. मामला सुलझता नहीं देख कॉलेज प्रबंधन हाइकोर्ट गये. हाइकोर्ट ने छात्रहित में प्रोविजनल नामांकन व परीक्षा लेने का आदेश विवि को दिया. साथ ही यह भी कहा कि अंतिम फैसला आने तक रिजल्ट जारी नहीं होगा. विवि ने परीक्षा ले ली, लेकिन हाइकोर्ट के निर्देश के आलोक में रिजल्ट जारी नहीं किया है. इसी प्रकार सत्र 2014-15 के लिए सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार 20 मार्च 2014 तक संबंधित बीएड कॉलेजों को मान्यता के लिए राज्य सरकार के पास प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया गया था, लेकिन विवि ने अप्रैल 2014 में इससे संबंधित प्रस्ताव राज्य सरकार के पास भेजा.

राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में यह कह कर प्रस्ताव पर मुहर नहीं लगायी कि प्रस्ताव कोर्ट के आदेश के आलोक में निर्धारित समय पर नहीं आया. कॉलेज प्रबंधन का कहना है कि उन्होंने तो समय पर विवि में प्रस्ताव भेज दिया था, विवि ने देरी की है, तो इसमें उनकी कोई गलती नहीं है. इसी आधार पर सभी कॉलेजों ने सत्र 2014-15 में नामांकन भी ले लिया है. आधी पढ़ाई पूरी भी हो गयी है. मान्यता नहीं मिलने पर विवि स्तर पर परीक्षा लेने पर रोक लग सकती है. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार झारखंड से कोल्हान विवि व नीलांबर-पीतांबर विवि ने ही समय पर प्रस्ताव भेजा, जिस पर राज्य सरकार ने अपनी स्वीकृति दे दी. रांची विवि के साथ-साथ विनोबा भावे विवि व सिदो-कान्हू मुरमू विवि का प्रस्ताव राज्य सरकार के पास फंसा हुआ है.

राज्य सरकार ने प्रस्ताव मांगा

सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार राज्य सरकार ने सभी विवि से बीएड सत्र 2015-16 के लिए संबद्धता से संबंधित प्रस्ताव 30 मार्च 2015 से पहले मांगा है. इस अधार पर रांची विवि प्रशासन ने इस बार संबंधित कॉलेजों से संबद्धता के लिए आवश्यक जानकारी व कागजात 20 जनवरी 2015 तक निश्चित रूप से जमा करने का निर्देश दिया है, ताकि इस बार समय पर प्रस्ताव सरकार के पास भेजा जा सके.

अगले सत्र का नामांकन फंसा

एनसीटीइ के नियम को नहीं माने जाने पर सत्र 2015-16 से कई कॉलेजों की मान्यता संकट में है. एनसीटीइ ने विभिन्न विवि सहित रांची विवि अंतर्गत रांची वीमेंस कॉलेज, रांची कॉलेज, महिला बीएड कॉलेज की मान्यता पर प्रश्न चिह्न लगाया है. कहा है कि नियमानुसार कार्रवाई नहीं हुई, तो अगले सत्र से इन कॉलेजों की मान्यता समाप्त कर दी जा रही है.

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