गुमला: रांची व गुमला मार्ग में स्थित सिसई प्रखंड के नगर गांव अपने अंदर कई ऐतिहासिक धरोहर समेटे हुए है. इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया गया है. डोइसागढ़, नवरत्न गढ़, रानी लुकई, कमल सरोवर, कपिलनाथ मंदिर, भैरव मंदिर अपनी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि व नयनाभिराम प्राकृतिक दृश्य के कारण पर्यटकों को अपनी ओर सहज तरीके से आकर्षित करता है.
यह छोटानागपुर के नागवंशी राजाओं की ऐतिहासिक धरोहर है. इसका इतिहास 400 वर्ष पुराना है. मुगल साम्राज्य से बचने के लिए राजा दुर्जनशाल ने इसे बनवाया था. लेकिन कालांतार में समय बदला और आज यहां वीरानी है. अमूल्य भवन आज खंडहर के रूप में है. इसे पर्यटन व ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किया जा रहा है. नववर्ष में घूमने का बहुत ही अच्छा स्थान है.
डोइसागढ़ में क्या देखें
डोइसागढ़ व नवरत्न गढ़ के नयनाभिराम प्राकृतिक दृश्य, पांच मंजिला वर्गाकार इमारत, 33 इंच मोटी दीवार, रानी वास, कचहरी घर, कमल सरोवर, रानी लुकईयर का भूल-भूलैया, गुप्त कमरा, गुबंद का भीतरी भाग में पशु चित्र, घोड़ा, सिंहों से उत्कीर्ण परिपूर्ण आकृति, चारों कोनों पर शीर्ष गुबंदनुमा स्तंभों पर बड़े-बड़े नाग लिपटे, जगन्नाथ मंदिर, भैरव मंदिर, कपिलनाथ मंदिर, मंदिर के गर्भगृह में बड़े आकार की मूर्ति, धोबी मठ, दीवारों पर मनोहारी चित्रकारी.
कैसे जायें और कहां ठहरें
यह सिसई प्रखंड में है. सिसई से पांच, गुमला से 32 व रांची से 65 किमी दूर है. यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. डोइसागढ़ तक जाने के लिए पक्की सड़क है. आसपास गांव है, लेकिन ठहरने व खाने-पीने की व्यवस्था नहीं है. होटल सिसई में है. ठहरने के लिए गुमला व रांची के होटलों में रुका जा सकता है. यहां सुबह सात बजे से शाम पांच बजे तक घूम सकते हैं. यहां के ऐतिहासिक धरोहर व प्राचीन किला को देखने के बाद यहां बार-बार आने का मन करेगा.