रांची: सलाहकार पर्षद ने सात राजपत्रित (गजेटेड) अधिकारियों को बरखास्त करने का फैसला किया है. इनमें एक राज्य प्रशासनिक सेवा और छह पशुपालन विभाग के अधिकारी हैं. पर्षद की बैठक में पुलिस भवन निर्माण निगम के खर्च में हुई वृद्धि और बाजार की स्थिति को देखते हुए उसका एजेंसी चार्ज तीन से बढ़ा कर आठ प्रतिशत करने का फैसला किया गया. विभिन्न प्रकार की गाड़ियों पर लगनेवाला रोड टैक्स और दंड की रकम ऑनलाइन जमा करने की अनुमति दी गयी.
फरजी जाति प्रमाण पत्र दिया था
राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी सूर्यमणि आचार्य पर फरजी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी पाने का आरोप था. जांच में पाया गया कि वह मूलत: कुम्हार जाति के हैं, जबकि नौकरी के लिए उन्होंने लोहरा जाति का प्रमाण पत्र दिया था. जब वह बेरमो में अंचलाधिकारी थे, तो सरकार को इस आशय की शिकायत मिली थी. विभागीय कार्यवाही के दौरान वह खुद को लोहरा जाति के होने का प्रमाण नहीं दे सके . इसके बाद उन्हें बरखास्त करने का फैसला किया गया.
चारा घोटाले में सजा पायी थी
पशुपालन घोटाले में सजा पा चुके जिन अधिकारियों को बरखास्त करने का फैसला किया गया है, उनमें डॉ संदीप कुमार, डॉ शैलेंद्र भारती व डॉ दीपक कुमार शामिल हैं. इन अधिकारियों को चारा घोटाले (कांड संख्या आरसी 35ए/96) में अदालत ने सजा दी थी.
डॉ कृष्ण कुमार व डॉ रामेश्वर नारायण पांडेय चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 31 ए/96 और डॉ वेंकटेश्वर पांडेय आरसी 53ए/96 में सजा पा चुके हैं. इन अधिकारियों को सजा पाने की तिथि से बरखास्त माना जायेगा. उन्हें निलंबन और बरखास्तगी के बीच की अवधि का सिर्फ जीवन- यापन भत्ता मिलेगा.