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सड़क व बिजली की आस में हैं ग्रामीण
बुढ़मू : बुढ़मू प्रखंड परिसर से करीब दो किमी दूर पर बसा है बुढ़मू पंचायत का जमगाई गांव. गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. लोकसभा चुनाव के दौरान कई प्रत्याशी गांव आये थे. उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि उनके गांव में सड़क व बिजली की सुविधा बहाल होगी, लेकिन चुनाव […]
बुढ़मू : बुढ़मू प्रखंड परिसर से करीब दो किमी दूर पर बसा है बुढ़मू पंचायत का जमगाई गांव. गांव में आज भी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. लोकसभा चुनाव के दौरान कई प्रत्याशी गांव आये थे.
उन्होंने ग्रामीणों को भरोसा दिलाया था कि उनके गांव में सड़क व बिजली की सुविधा बहाल होगी, लेकिन चुनाव बाद किसी ने गांव में जाने की जरूरत ही नहीं समझी. गांव की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है.
जमगाई गांव : इस गांव में करीब 50 परिवार भोगता (हरिजन) का है. गांव में आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. एक आंगनबाड़ी भवन बना हुआ है, लेकिन कई वर्षो से यह बंद है. गांव में पक्की सड़क नहीं है. गांव जाने के लिए एकमात्र कच्ची सड़क है. बारिश में इस सड़क पर चलना भी दूभर हो जाता है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत सुदूरवर्ती गांवों में बिजली पहुंचायी गयी, लेकिन जमगाई में बिजली की सुविधा नहीं है.
जनवितरण प्रणाली से राशन लेने के लिए यहां के लोगों को दो किमी दूर बुढ़मू जाना पड़ता है. ग्रामीण बताते हैं कि चार साल पूर्व जमगाई गांव में सरकार की ओर से शौचालय बनाने की योजना थी, लेकिन खानापूरी कर कागज पर काम को पूरा दिखाया गया. गांव के अधिकार लोग प्रत्येक वर्ष दूसरे राज्य के ईंट भट्ठों पर काम करने जाते हैं. आठ माह तक वे ईंट भट्ठों पर ही काम करते हैं.
जमगाई गांव निवासी दिरपाल गंझू साल में आठ माह दूसरे राज्य में ईंट भट्ठा पर काम करता है. साल का चार माह वह अपने घर में गुजारता है. आठ माह उसकी पत्नी रेजा का काम कर किसी तरह घर चलाती है. दिरपाल की पत्नी बताती है कि अगर गांव में रोजगार का कुछ साधन उपलब्ध होता, तो उसके पति को बाहर जाने की जरूरत ही नहीं पड़ती. कुछ इसी तरह का हाल गांव के कई और लोगों का है.
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