एजेंसियां, नयी दिल्लीएक स्थानीय अदालत ने कहा है कि यदि गवाह अभियोजन के केस की पुष्टि नहीं करे या कोई ठोस सबूत न दे तो दुष्कर्म के आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अदालत ने इसी आधार पर दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी भी कर दिया.यह कहा अदालत नेअतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निवेदिता अनिल शर्मा ने कहा कि इस बात को लेकर काफी हंगामा होता है कि अदालतें दुष्कर्म के आरोपियों को सजा नहीं देती हैं. लेकिन दुष्कर्म के आरोपी किसी भी व्यक्ति को बगैर ठोस गवाह या सबूत के दोषी नहीं करार दिया जा सकता है. जज ने कहा, इसकी अनदेखी नहीं की जानी चाहिए कि अदालतें कानून से बंधी होती हैं और फाइल में दर्ज प्रविष्टियां या गवाहों के बयानों को भावनाओं या मीडिया रिपोर्टिंग के आधार पर मोड़ा नहीं जा सकता है.कोर्ट ने यह टिप्पणी दुष्कर्म तथा महिला का शील भंग करने व अन्य आरोपों से अजयवीर सिंह नामक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी करते हुए की. कोर्ट ने कहा कि अभियोजन का केस न तो भरोसेमंद है और न ही विश्वसनीय. साथ ही अभियोजन दुष्कर्म, धमकी तथा महिला का शील भंग करने का आरोप साबित करने में विफल रहा है. कोर्ट ने कहा कि कथित पीडि़ता का भी बयान घटना होने की असंभाव्यता बताता है. दरअसल कथित पीडि़ता ने बयान दिया कि आरोपी ने उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं किया. अभियोजन का आरोप था कि पीडि़ता के पति के चचेरे भाई अजयवीर सिंह ने 24 मई, 2013 की मध्यरात्रि को चाकू से डरा कर दुष्कर्म किया.
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दुष्कर्म का आरोपी बिना ठोस सबूत के दोषी नहीं
एजेंसियां, नयी दिल्लीएक स्थानीय अदालत ने कहा है कि यदि गवाह अभियोजन के केस की पुष्टि नहीं करे या कोई ठोस सबूत न दे तो दुष्कर्म के आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता. अदालत ने इसी आधार पर दुष्कर्म के एक आरोपी को बरी भी कर दिया.यह कहा अदालत नेअतिरिक्त सत्र न्यायाधीश निवेदिता अनिल […]
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