12 वर्षों तक चली जांच, आरोप मिले गलतनिगरानी ने बंद की जांचरांची. हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ केके नाग के खिलाफ चल रही गड़बड़ी की जांच में आरोप गलत साबित होने के बाद निगरानी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. इसके साथ ही उनके खिलाफ चल रही जांच बंद कर दी गयी. निगरानी के अधिकारियों के अनुसार डॉ केके नाग के खिलाफ वर्ष 2002 में निगरानी में मामला दर्ज किया गया. तत्कालीन कुलपति पर आरोप था कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान विकास से संबंधित कोई काम नहीं किया. उन्होंने अपने चहेते को पीएचडी और डिलिट की उपाधि देने में गड़बड़ी की. इसके साथ ही प्रशासनिक कार्यों में अनियमितता बरत कर वित्तीय गड़बड़ी की. इससे संबंधित शिकायत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्यों ने सरकार से की थी. शिकायत मिलने के बाद सरकार के निर्देश पर मामले की निगरानी जांच शुरू हुई. निगरानी एसपी विपुल शुक्ला ने बताया कि 17 हजार रुपये वित्तीय गड़बड़ी से संबंधित आरोप था लेकिन रुपये अभी भी विश्वविद्यालय के बैंक एकाउंट में हैं. इसके साथ ही छात्रों से जो रुपये लिये गये थे, वह भी बैंक एकाउंट में हैं. जांच में डॉ केके नाग पर लगे अन्य आरोप भी साबित नहीं हुए. इसके बाद उन्हें क्लीन चिट देकर जांच बंद कर दी गयी. जांच से संबंधित रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी गयी है.
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विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति को क्लीन चिट (हजारीबाग भी दें)
12 वर्षों तक चली जांच, आरोप मिले गलतनिगरानी ने बंद की जांचरांची. हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ केके नाग के खिलाफ चल रही गड़बड़ी की जांच में आरोप गलत साबित होने के बाद निगरानी ने उन्हें क्लीन चिट दे दी है. इसके साथ ही उनके खिलाफ चल रही जांच बंद कर […]
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