इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी एवं इसका संवाद माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना अच्छी बात है. लेकिन जब इससे दूर जाना लगभग असंभव सा लगने लगे, तो इसे टैक एडिक्शन का मामला माना जाता है. इसके सबसे ज्यादा शिकार आठ से 13 आयु वर्ग के बच्चे होते हैं. जो विभिन्न सोशल साइट्स पर अधिकतर समय बिताते हैं. इसलिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है कि एडिक्शन की पहचान की जाये. पहचान होने पर अनुभवी मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. साथ ही इंटरनेट या मोबाइल पर चैटिंग पोस्टिंग या मेल मैसेज चेक करने के लिए दिन में दो-तीन बार 15-20 मिनट का समय इस्तेमाल करना चाहिए. आउट डोर गेम्स, घूमने फिरने और शारीरिक गतिविधियों में ज्यादा ध्यान देना चाहिए. कोशिश करें कि बच्चे संगीत से भी जुडे़ं. इंटरनेट की लत छुड़ाने के लिए सीमित समय का उपयोग करंे. काउंसलिंग का भी सहारा लें. बच्चों को तकनीक से दूर रखना मुश्किल है पर थोड़ी हार्ड पैरेंटिंग से संभव हो सकता है.
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इंटरनेट पर ज्यादा समय न दें, आ सकते हैं टैक एडिक्शन की गिरफ्त में
इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी एवं इसका संवाद माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना अच्छी बात है. लेकिन जब इससे दूर जाना लगभग असंभव सा लगने लगे, तो इसे टैक एडिक्शन का मामला माना जाता है. इसके सबसे ज्यादा शिकार आठ से 13 आयु वर्ग के बच्चे होते हैं. जो विभिन्न सोशल साइट्स पर अधिकतर समय […]
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