विपक्ष ने कैबिनेट द्वारा पारित 2016 से पूर्व की नियोजन नीति को लेकर सत्ता पक्ष को घेरा. विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा. विपक्षी भाजपा व आजसू के विधायक वेल में घुस गये. सरकार से जवाब मांगते हुए भाजपा विधायक नारेबाजी करने लगे. हंगामा होता देख स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने पहली व दूसरी पाली में सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी.
इधर, शनिवार को सुबह कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने नयी नियोजन नीति को लेकर अपनी बात रखी. नीलकंठ ने सरकार से पूछा : 1932 का क्या हुआ? सदन ने सर्वसम्मति से पास किया था. सरकार ने कैबिनेट से 2016 से पहले की नीति को पारित किया है. राज्य की जनता जानना चाहती है, उसमें क्या है?
मुख्यमंत्री सदन के माध्यम से जनता को बतायें. झारखंड के साथ धोखा हुआ है. भाजपा विधायक नीलकंठ ने जैसे ही इस मुद्दे को उठाया, सदन में शोर-शराबा होने लगा. स्पीकर बार-बार विधायकों से अपनी सीट पर लौटने का आग्रह करते रहे, लेकिन विपक्षी विधायक शांत होने को तैयार नहीं थे. जिस समय हंगामा हो रहा था, मुख्यमंत्री सदन में नहीं थे.
आलमगीर आलम का पक्ष सुनने को तैयार नहीं : संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सरकार का पक्ष रखा, लेकिन विपक्षी विधायक उनके जवाब से संतुष्ट नहीं थे. नीलकंठ ने फिर कहा : हाइकोर्ट ने रद्द किया है, तो उसके क्या आदेश है बतायें? सरकार पिछले दरवाजे से नीति लायी है. झारखंड के लोगों के प्रति आपकी भावना उजागर हो गयी है.
जोहार व खतियानी यात्रा निकाल रहे हैं, आप बतायें कि 1932 का क्या किया है? जो नीति सदन से सर्वसम्मति से पास हुई, उसे फिर से कैबिनेट में लायें. सरकार क्या सदन से ऊपर हो गयी है? झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम भी इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़े हो गये. श्री हेंब्रम ने कहा : सरकार ने चलते सत्र में इसे कैबिनेट से पास किया है. सदन में इसकी घोषणा करें. राज्य में ऊहापोह की स्थिति है, किसको क्या मिला है?
स्पीकर ने सदन की कार्यवाही दोपहर 12:00 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई, तो नीलकंठ ने फिर इस मुद्दे पर बोलने उठे. उन्होंने कहा कि बेरोजगार जानना चाह रहे हैं कि उनके साथ क्या हुआ? सरकार चाहती है कि चलते-चलते 2024 पार हो जाये.
हंगामे के बीच ही सो गये कृषि मंत्री और विधायक :
विधानसभा सत्र में शनिवार को दूसरी पाली में विपक्षी विधायकों के हंगामे के बीच कृषि मंत्री बादल सोने लगे. विपक्षी विधायकों ने हंगामे के बीच ही स्पीकर का ध्यान आकृष्ट कराया. इसके बाद संतरी ने मंत्री को उठाया. विधायक दीपक बिरुआ को भी नींद आ गयी. वह सोने लगे. उनको भी आसपास के विधायकों ने आवाज देकर जगाया.
सरकार जनभावना का अनादर कर रही
आजसू विधायक सुदेश महतो ने कहा कि 1932 ज्वलंत मुद्दा है. झामुमो इसे कमिटमेंट बताता है. सर्वसम्मति से नियोजन नीति पास हुई थी. सदन में ही एक प्रस्ताव लाकर इसमें 1932 जोड़ा गया. अब सरकार जनभावना का अनादर कर रही है. स्पीकर ने सदन की कार्यवाही पहली पाली के लिए स्थगित कर दी. सदन में आज एक भी प्रश्न नहीं आया.
जनता भी समझ रही, शांत रहें :
विपक्षी विधायकों को स्पीकर शांत कराते रहे. उन्होंने कहा : आप भी समझ रहे, जनता भी समझ रही है. प्रश्नकाल बाधित मत कीजिए. यह सरकार का विषय है. आसन पर आप ही आरोप लगाते हैं कि प्रश्न नहीं आते हैं. आज आपलोगों का ही प्रश्न आया है. चर्चा के दौरान आपके सवालों के जवाब आ जायेंगे. सदन बेहतर चल रहा है, आप सहयोग कर रहे है़. 24 तक सदन चलेगा.
हाइकोर्ट ने नियोजन नीति रद्द की : आलम
संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए कहा : सदन में सर्वसम्मति से निर्णय हुआ था, यह सही है. कैबिनेट से एक नीति पास हुई है. हम भाग नहीं रहे हैं, सरकार सभी बातों का जवाब देगी. हाइकोर्ट का निर्णय आया है. नियोजन नीति को रद्द किया है. हम कहां भाग रहे हैं? कैसे निरस्त हुआ, कैसे पारित हुआ, सभी चीज का जवाब देंगे.