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आदिवासियों की जमीन पर औद्योगिकीकरण घातक : डॉ फेलिक्स

आदिवासियों की संस्कृति को बचाने पर दिया जोर टाटा स्टील की ओर से आयोजित चार दिवसीय ट्राइबल कॉन्क्लेव में भाग लेने आये हैं शहरवरीय संवाददाता, जमशेदपुर अगर आदिवासियों को बचाना है, तो उनकी जमीन को भी बचाना होगा. विकास की दौड़ में आदिवासियों को पछाड़ने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. उक्त बातें मानव विज्ञानी डॉ […]

आदिवासियों की संस्कृति को बचाने पर दिया जोर टाटा स्टील की ओर से आयोजित चार दिवसीय ट्राइबल कॉन्क्लेव में भाग लेने आये हैं शहरवरीय संवाददाता, जमशेदपुर अगर आदिवासियों को बचाना है, तो उनकी जमीन को भी बचाना होगा. विकास की दौड़ में आदिवासियों को पछाड़ने की कोशिश नहीं होनी चाहिए. उक्त बातें मानव विज्ञानी डॉ फेलिक्स पैडल ने कही. डॉ पैडल टाटा स्टील की ओर से आयोजित चार दिवसीय ट्राइबल कॉन्क्लेव में भाग लेने के लिए शहर आये हुए हैं. डॉ फेलिक्स पैडल प्रख्यात मानव विज्ञानी चार्ल्स डारविन के परपौत्र हैं तथा प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा के साथ-साथ आदिवासियों को किस तरह बचाया जाये, इस पर लंबे अरसे से काम कर रहे हैं. मंगलवार को प्रभात खबर से बातचीत में डॉ पैडल ने कहा कि औद्योगिकीकरण जरूरी है, लेकिन आदिवासी हितों की रक्षा करते हुए ऐसा करना चाहिए. भारत में आदिवासियों के अस्तित्व पर संकट छाया हुआ है. उनकी संस्कृति मिटाने की कोशिश हो रही है. कौन हैं डॉ फेलिक्स पैडलऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से शिक्षा प्राप्त डॉ फेलिक्स पैडल मानव विज्ञानी हैं तथा जनजातीय आबादी के इतिहास व उसके संघर्ष के बारे में अध्ययन करते रहे हैं. इससे संबंधित उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं. जिनमें ‘सेक्रिफाइस ऑफ मून बिइंग : ब्रिटिश रूल एंड द नॉड्स ऑफ ओडि़शा’ (पहली पुस्तक), ‘ आउट ऑफ दिस अर्थ : ईस्ट इंडिया आदिवासिस एंड एलुमिनियम कारटेल’ प्रमुख हैं. वह अपने दादा चार्ल्स डार्विन, जो मानव के विकासवादी सिद्धांत के जनक थे, उनसे प्रेरणा लेते हैं.

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