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भारत में होंगे बड़े निवेश

जी-20. विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने की योजनाएजेंसियां, ब्रिस्बेनजी20 ने टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने की योजना के तहत बड़े निवेश की पहलवाले देशों में अन्य देशों के साथ भारत को भी शामिल किया है. जी-20 बैठक के अंत में जारी वक्तव्य के एक हिस्से के तौर पर जारी […]

जी-20. विकासशील देशों की आर्थिक वृद्धि को आगे बढ़ाने की योजनाएजेंसियां, ब्रिस्बेनजी20 ने टिकाऊ आर्थिक वृद्धि के रास्ते पर आगे बढ़ने की योजना के तहत बड़े निवेश की पहलवाले देशों में अन्य देशों के साथ भारत को भी शामिल किया है. जी-20 बैठक के अंत में जारी वक्तव्य के एक हिस्से के तौर पर जारी ब्रिस्बेन कार्य योजना में यह भी कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति की मांग है कि व्यापक एवं सुसंगत नीतिगत पहल हो, जिससे निकट भविष्य में मांग बढें, मध्यम अवधि में आपूर्ति की बाधाएं खत्म हों और उपभोक्ताओं एवं व्यापार का भरोसा बढ़े.कार्ययोजना में कहा गया कि चीन और भारत समेत कुछ मुख्य उभरती अथ्व्यवस्थाओं में वृद्धि अच्छी है. यह ज्यादा टिकाऊ होती जा रही है, लेकिन कुछ अन्य देशों में यह धीमी पड़ रही है. विश्व के 20 औद्योगीकृत और उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह जी-20 के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शेरपा रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत की 2014-15 की आर्थिक वृद्धि दर छह प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान लगाया जा रहा है.भारत की आर्थिक वृद्धि अप्रैल से जून तिमाही में बढ़ कर 5.7 प्रतिशत रही, जो पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही के दौरान रही 4.7 प्रतिशत से काफी बेहतर है. इससे पहले वित्त वर्ष 2012-13 और 2013-14 के दौरान वृद्धि दर पांच प्रतिशत से कम रही. जी-20 ने कहा कि कुछ विकसित अर्थव्यवस्थाओं विशेष तौर पर अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा में वृद्धि ने रफ्तार पकड़ी है. हालांकि, जापान एवं यूरो क्षेत्र में सुधार धीमा रहा है और मुद्रास्फीति लक्ष्य से बहुत कम है.अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ रहा है जोखिम : योजना में कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था अभी भी झटकों के जोखिम सहने में कमजोर है. वित्तीय कमजोरियां बरकरार हैं और भू-राजनैतिक तनाव से मौजूदा जोखिम बढ़ रहे हैं. योजना के मुताबिक, हम वैश्विक वित्तीय संकट के निकट भविष्य और दीर्घकालिक प्रभावों की निरंतर निगरानी कर रहे हैं. अर्थव्यवस्था कमतर वृद्धि की संभावनाओं से जूझ रही है. इससे अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर निवेश, कमजोर उत्पादकता वृद्धि, ऊंची बेरोजगारी और श्रमबल की कम भागीदारी स्पष्ट होती है.नीतिगत क्रियान्वयन जरूरी : कार्ययोजना में कहा गया है कि नीतियों का क्रियान्वयन निकट भविष्य और मध्यम अवधि दोनों तरह की चुनौतियों से निपटने के लिये होना चाहिए. इससे अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार में मजबूती आयेगी और मांग बढ़ने के साथ साथ विश्वास भी बढ़ेगा. उत्सर्जन घटाएं विकासशील देश : चीनबीजिंग. अमेरिका के साथ ऐतिहासिक करार के बाद ग्रीनहाउस गैसांे के उत्सर्जन मंे कटौती का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय करने का वादा करते हुए चीन ने विकासशील देशांे से भी ऐसी ही पहल करने को कहा है. वैश्विक जलवायु वार्ताआंे मंे चीन बेसिक समूह (ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका, भारत व चीन) का सदस्य है. पिछले सप्ताह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की यहां की यात्रा के दौरान चीन ने अमेरिका के साथ इस बारे मंे हैरान करनेवाला करार किया. यह करार 2020 के बाद दोनांे देशांे द्वारा उत्सर्जन मंे कटौती के लक्ष्यांे के बारे मंे है. इससे भारत व अन्य विकासशील देशांे पर अगले साल पेरिस मंे होनेवाले जलवायु सम्मेलन से पहले इस बारे मंे पुष्ट प्रतिबद्धता जताने का दबाव बढ़ेगा. चीन के शीर्ष जलवायु वार्ताकार शी चेन्हुआ ने कहा कि चीन के नीति निर्माता ग्रीनहाउस गैसांे के उत्सर्जन मंे कटौती के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यांे का इस्तेमाल करेंगे. उन्हांेने कहा कि यदि चीन और अमेरिका, सबसे बड़ा विकासशील देश और सबसे बड़ा विकसित देश इस मुद्दे पर करार कर सकते हैं, तो शेष दुनिया भी ऐसा कर सकती है.ऑस्ट्रेलिया-चीन के बीच मुक्त व्यापार संधिसिडनी. ऑस्ट्रेलिया और चीन ने करीब दशक भर की वार्ता के बाद सोमवार को ऐतिहासिक मुक्त व्यापार संधि पर समझौता किया. इस पर इन देशों का कहना है कि इस संधि से आनेवाले वर्षों में उन्हें काफी फायदा होगा. संधि के तहत चीन के बाजार में आनेवाले 93 प्रतिशत ऑस्ट्रेलियाइ सामान चार साल के भीतर शुल्क मुक्त होंगे. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री टोनी एबॉट ने कहा कि इस संधि से अर्थव्यवस्था में अरबों डॉलर आयेंगे और लोगों का जीवन स्तर बेहतर होगा. उन्होंने कहा कि इस संधि से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तक ऑस्ट्रेलियाई कारोबारियों की पहुंच होगी.

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