सुमीत गाड़ोदियाएडवोकेटहाइकोर्ट रांचीआज से 14 साल पहले जब राज्य बना तब यह कहा गया कि यह सबसे धनी राज्य है. अब जब राज्य अलग हुआ है, तो कहा गया कि शीघ्र ही यह देश भर के विकसित राज्यों में शामिल हो जायेगा. यहां हजारों की संख्या में उद्योग लगाये जायेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण रहा कि यहां जितनी भी सरकारें बनी वह स्थिर नहीं रही. राज्य संचालकों में राज्य के विकास को ध्यान में रखते हुए काम करने की इच्छाशक्ति की कमी भी रही. किसी भी सरकार ने यहां इंफ्रास्ट्रक्चर को डेवलप करने पर ध्यान नहीं दिया. कुछ एक प्रोजेक्ट्स पर काम होना भी शुरू हुआ, तो वह भी अधूरा ही रहा. ऐसे प्रोजेक्ट्स को भी पूरा करने की ओर किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया. अब जब पुन: एक बार नयी सरकार आने की कवायद शुरू हो गयी है, तो हम उम्मीद करते हैं कि सरकार विकास के लिए बने. विकास करना ही आनेवाली सरकार का उद्देश्य हो. इसके अलावा तीन प्रमुख मुद्दे हैं, जिस पर आने वाली सरकार को काम करने की जरूरत होगी. पहला यहां मौजूद खनीज संपदाओं का उपयोग यहां के विकास के लिए किया जाये न कि उसका व्यापार किया जाये. दूसरा नक्सल की समस्या को समाप्त करने के लिए कड़े कदम उठाये जायें. तीसरा सरकार की पॉलिसी ऐसी बने कि यहां के लोगों को रोजगार में प्राथमिकता मिले.
विकास के लिए खनिज संपदा का उपयोग हो
सुमीत गाड़ोदियाएडवोकेटहाइकोर्ट रांचीआज से 14 साल पहले जब राज्य बना तब यह कहा गया कि यह सबसे धनी राज्य है. अब जब राज्य अलग हुआ है, तो कहा गया कि शीघ्र ही यह देश भर के विकसित राज्यों में शामिल हो जायेगा. यहां हजारों की संख्या में उद्योग लगाये जायेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं […]
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